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नाग पंचमी 2021: सांपों को दूध पिलाना कितना ठीक? जानिए इसका जवाब

नाग पंचमी के दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है। जानकारों के मुताबिक, सांपो को दूध पिलाने को लोग पुण्य समझते हैं।

Written by: IANS
Published on: August 12, 2021 11:50 IST
nag panchami 2021 offering milk to snakes Know the right answer- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY.COM नाग पंचमी 2021: सांपों को दूध पिलाना कितना ठीक? जानिए इसका जवाब

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। श्रावण मास में नाग पूजा और नाग पंचमी पर सर्पों को दूध पिलाने की परम्परा लंबे अरसे से चली आ रही है, लेकिन नाग पंचमी के दिन सांपो को दूध पिलाने से पहले लोगों को कुछ बातों पर गौर जरूर करना चाहिए। दरअसल हिन्दु पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

वर्ष 2021 में ये पंचमी तिथि गुरुवार यानी 12 अगस्त दोपहर 3 बजकर 28 मिनट से आरम्भ होगी और अगले दिन शुक्रवार यानी 13 अगस्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में इस वर्ष ये पर्व 13 अगस्त को ही मनाया जाएगा। नाग पंचमी के दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है। जानकारों के मुताबिक, सांपो को दूध पिलाने को लोग पुण्य समझते है लेकिन पेटा इंडिया का दावा है कि वह अन्जाने में पाप के भागीदार बन जाते हैं।

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सांपों को रखा जाता है भूखा-प्यासा

पेटा इंडिया की ओर से कहा गया, यह एक भ्रांति मात्र है कि साँप दूध पीते हैं, क्यूंकि त्योहार से पहले साँपो को भूखा प्यासा रखा जाता है। इसलिए जब उन्हें दूध दिया जाता है तो वह पी लेते हैं। गाय का दूध पीने से साँप अक्सर निर्जलित हो जाते हैं, जिसके चलते उन्हें पेचिस यहाँ तक कि उनकी मौत भी हो जाती है। पेटा इंडिया के मुताबिक, नाग पंचमी के त्योहार के दौरान सैकड़ों साँपों की दर्दनाक तरीकों से मौत हो जाती है। त्योहार से पहले साँपों को अक्सर थैलों में कैद करके रखा जाता है, उन्हें भूखे ही छोटे डिब्बों में रखा जाता है।

सांप का आहार दूध नहीं है

हालांकि दिल्ली से सटे गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अस्मिता लाल ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा, बड़ी संख्या में वर्षा ऋतु में सॉप निकलने पर लोग उन्हें मार देते हैं, इसलिए ऋषियों ने उन्हें दूध चढ़ाने की परम्परा शुरू कि ताकि साँपो का जीवन और पारिस्थितिक तंत्र संतुलित बना रहे। उ्नके मुताबिक, दूध साँप का आहार नही है, सरीसृप होने के कारण साँप को दूध हजम नही होता है। लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाने का लिए सपेरे नाग पंचमी से पूर्व साँपो को भूखा रखते है, ताकि वह दूध को पी ले।

सांप को कैद में रखना दंडनीय अपराध

मौजूदा कानूनों में भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत साँपों की सभी प्रजातियाँ संरक्षित हैं। इसलिए उन्हें पकड़ना, प्रशिक्षित करना या कैद में रखना एक दंडनीय अपराध है। इसके अलावा, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1690 के अनुसार, जानवरों को प्रताड़ित करना, उन्हें अनावश्यक पीड़ा पहुंचाना, जानबूझकर और अनुचित तरीकों से उन्हें हानिकारक पदार्थ देना, उन्हें पर्याप्त भोजन पानी व आश्रय देने में विफल होना, और उन्हें किसी ऐसे पात्र या पिंजरे में कैद रखना जहां वो ठीक से हिलडुल भी न सकें, गैरकानूनी कृत्य हैं।

दूध से सांप के फेफड़े पर पड़ता है असर 

मुख्य विकास अधिकारी द्वारा जारी बयान में कहा गया है, नाग पंचमी के दिन जो साँप दूध पीते हुए दिख जाते हैं, उन्हें 15-20 दिनों से भूखा प्यासा रखा गया होता है। ऐसे में जब भूखे साँप के सामने दूध आता है, तो वह अपनी भूख मिटाने के लिए विवशता में दूध को गटक लेता है। भूख की वजह से विवश साँप दूध को गटक तो लेता है, लेकिन उसे हजम नहीं कर पाता है। दूध उसके फेफड़ों पर असर डालता है। इससे उसके शरीर में इंफेक्सन फैलने लगता है, जिससे कुछ समय के बाद उसके फेफडें फट जाते हैं और साँप की मृत्यु हो जाती है।

नाग पंचमी के अवसर को लेकर मुख्य विकास अधिकारी ने अपील करते हुए कहा, कोई भी सर्पों को दूध न पिलाये, ऐसा घोर अपराध करने से बचे और वन्य जीव संरक्षण में सहयोग प्रदान करें। पेटा इंडिया ने सभी से अनुरोध किया है कि, साँपों के खेल को बढ़ावा न देकर किसी अन्य तरह के मनोरंजन को अपनाकर साँपों को पकड़ने, उन्हें कैद में रखने, उन्हें भूख और प्यास की पीड़ा सहने से बचाने में अपना योगदान दें।

एक अन्य संस्था एनिमल राहत ने पिछले 6 सालों में भिन्न भिन्न व कठिन परिस्थितियों में फसे 200 से भी अधिक साँपों का रेसक्यू कर उन्हें वापिस जंगल में छोड़ दिया है।

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