धर्म डेस्क: तिरूमाला वेंकटेश्वर यानी तिरुपति बालाजी मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के तिरूमाला पहाड़ों की 7 वीं चोटी पर स्थित है। श्री स्वामी पुष्करिणी नदी के दक्षिण में स्थित इस मंदिर का निर्माण पारंपरिक द्रविड़ियन वास्तुशैली में किया गया है।
यहां पर भगवान वेंकटेश्वर की 8 फुट ऊंची मूर्ति है। मूर्ति सोने के ढलुएं गुंबद जिसे आनंद निलय दिव्य विमान कहा जाता है के नीचे रखी गई है तथा मूर्ति की आंखें कपूर के तिलक से ढंकी हुई हैं तथा यह कीमती और कुछ कम कीमती रत्नों से सुसज्जित है।
ये भी पढ़े-
- इन 5 उपायों करें पहचान कि नीलम रत्न असली है कि नकली
- महिलाएं क्यों नहीं चढ़ा सकती शनि देव पर तेल, जानिए
प्रभु वेंकटेश्वर भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था। यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है। एक दूसरी अनुश्रुति के अनुसार 11वीं शताब्दी में संत रामानुज ने तिरुपति की इस सातवीं पहाड़ी पर चढ़ाई की थी। प्रभु श्रीनिवास उनके समक्ष प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात वे 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहे और जगह-जगह घूमकर वेंकटेश्वर भगवान की ख्याति फैलाई।
वैकुंठ एकादशी के अवसर पर यहां पर भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ होती है। माना जाता है कि यहां आने पर हर पाप से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही माना जाता है कि यहां आने के बाद व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती हैं। तिरुपति मंदिर अपने आप में इतना खास है जिसके कारण ये विश्व प्रसिद्ध है। हम आपको अपनी खबर में इस मंदिर के बारे में ऐसे रहस्य के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानकर आप चौंक जाएंगे। जानिए इन रहस्यों के बारे में।
अगली स्लाइड में पढ़ें रहस्यों के बारें में