- इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पांचो मुखों के गुण अलग-अलग हैं। जो मुख दक्षिण की ओर है उसे अघोर मुख कहा जाता है, पश्चिम की ओर मुख को सद्योजात, पूर्व और उत्तर की ओर मुख को तत्वपुरुष और अर्धनारीश्वर कहा जाता है। जो मुख ऊपर की ओर है उसे ईशान मुख कहा जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख है।
- यह शिवलिंग बहुत ही कीमती और चमत्कारी है। माना जाता है कि यह शिवलिंग पारस के पत्थर से बना है। पारस का पत्थर ऐसा होता है कि लोह को भी सोना बना देता है।
- पशुपति मंदिर में चारों दिशाओं में एक मुख और एकमुख ऊपर की ओर है। हर मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल मौजूद है।
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