दिया जाता है भक्तों को स्पेशल प्रसाद
इस मंदिर में रहने वाले चूहों की अपनी ही एक विशेषता है। इस मंदिर में सुबह 5 बजें मंगल आरती और शाम को 7 बजे आरती करते समय सभी चूहें अपने बिल से बाहर आ जाते है। यहां पर रहने वाले चूहों को काबा कहा जाता कहां जाता है।
मां को जो प्रसाद चढाया जाता है वो पहले चूहे खाते है। उसके बाद उसे भक्तों के बीच बांटा जाता है। इस चूहों की चील, गिद्ध और दूसरे जानवरो से रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानो पर बारीक जाली लगी हुई है।
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