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यहां सिर्फ़ मौत को गले लगाने आते हैं लोग, हज़ारों दे चुके हैं जान

बनारस यानी काशी घर्म की नगरी है। गंगा, चारों तरफ मंदिर और मंदिर से आती गंटियों की आवाज़ पूरे वातावरम को धर्ममयी बना देती है। इस शहर की धार्मिक कशिश से विदेशी तक खिंचे चले

India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 05, 2016 17:48 IST
mukti bhawan banaras- India TV Hindi
mukti bhawan banaras

बनारस यानी काशी घर्म की नगरी है। गंगा, चारों तरफ मंदिर और मंदिर से आती गंटियों की आवाज़ पूरे वातावरम को धर्ममयी बना देती है। इस शहर की धार्मिक कशिश से विदेशी तक खिंचे चले आते हैं। मगर इसी काशी में कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं जो आपको अंदर तक झकझोर सकती हैं। एक जगह है वाराणसी का मुक्ति भवन। जहां देश भर से सिर्फ लोग आकर ठहरते हैं वो भी मौत के इंतज़ार के लिए।

काशी है मोक्ष की नगरी

वाराणसी के काशी लाभ-मुक्ति भवन में देश भर से लोग आते हैं, कभी न जाने के लिए। इस भवन तक की उनकी यात्रा इस दुनियां की उनकी अंतिम यात्रा होती क्योंकि यहां से वे सीधे परलोक की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार काशी का निर्माण भगवान शंकर ने मुक्ति के लिए किया था। इसीलिए बहुत से लोग काशी में अपनी देह त्याग मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे लोगों को मुक्ति भवन में निःशुल्क रहने की सुविधा दी जाती है।

45 सालों से मुक्ति भवन की देखभाल कर रहे भैरवनाथ शुक्ल बताते हैं कि जो व्यक्ति संसार के सुखों को त्यागकर ईश्वर को पाने की इच्छा रखता है वह अंतिम समय में काशी प्रवास करता है। ऐसे ही लोगों लिए यह मुक्ति भवन बनाया गया है।

mukti bhawan banaras
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अब तक 14, 700 लोगों ने मुक्ति भवन में त्यागे हैं प्राण

अभी तक इस काशी लाभ मुक्ति भवन में 14 हज़ार 700 लोग 'मोक्ष' प्राप्त कर चुके हैं। रोज़ इस मुक्ति भवन में किसी न किसी को मुक्ति मिल रही है। यहां आकर रहने वाले लोगों के परिजनों का कहना है कि उन्हें उनकी इच्छा से काशी लाया जाता है।

मुक्ति भवन के इतिहास के बारे में भैरवनाथ ने बताया कि साल 1958 में विष्णु बिहारी डालमिया ने इस भवन को उन लोगों को समर्पित किया था जो काशी में मोक्ष पाना चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए यहां निःशुल्क रखने की व्यवस्था की गयी। मुक्ति भवन के भीतर बने मंदिर में काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह आरती और अभिषेक साल 2000 से परस्पर किया जा रहा है। पहले यहां 8 पुजारी हुआ करते थे और एक सेवक पर अब सिर्फ 3 पुजारी है और एक सेवक बचे हैं। काशी लाभ मुक्ति भवन में 10 कमरे हैं। भैरवनाथ के अनुसार कभी कभी यहां 15 लोग भी हो जाते हैं।

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