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श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, गुजरात
यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी। माना जाता हे कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्रीहनुमानजी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है। यह मंदिर अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से लगभग 12 मील दूर सारंगपुर में है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान
यह मंदिर तथा यहां के हनुमान जी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। कहा जाता है कि मुगल साम्राज्य में इस मंदिर को तोडऩे के अनेक प्रयास हुए परंतु चमत्कारी रूप से यह मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं। माना जाता है कि यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी खत्म नहीं होता।
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए आने वालों का तांता लगा रहता है। मंदिर की सीमा में प्रवेश करते ही ऊपरी हवा से पीडि़त व्यक्ति स्वयं ही झूमने लगते हैं और लोहे की सांकलों से स्वयं को ही मारने लगते हैं। मार से तंग आकर भूत प्रेतादि स्वयं ही बालाजी के चरणों में आत्मसमर्पण कर देते हैं।
उल्टे हनुमान का मंदिर, सांवेर, इंदौर
भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूरी पर भगवान हनुमान का यह भव्य मंदिर है। यहां उनकी उल्टे रूप में पूजा की जाती है। मंदिर में भगवान हनुमान की उल्टे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। सांवेर का यह मंदिर हनुमान भक्तों के लिए महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यहां आकर भक्त भगवान की अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं।