Friday, November 29, 2024
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मोक्षदा एकादशी के दिन कथा सुननें से मिलता है कई हजार यज्ञ का फल

नई दिल्ली: हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायिनी है। इस एकादशी के दिन व्रत करके गीता के ग्यारहवें

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 20, 2015 20:07 IST

mokshada ekadash

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मोक्षदा एकादशी कथा
पुरातन काल में गोकुल नगर में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे। एक रात उन्होंने देखा उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता को दर्दनाक दशा में देख कर बड़ा दुख हुआ। सुबह होते ही उन्होंने राज्य के विद्धान पंडितों को बुलाया और अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा। उनमें से एक पंडित ने कहा आपकी समस्या का निवारण भूत और भविष्य के ज्ञाता पर्वत नाम के पंहुचे हुए महात्मा ही कर सकते हैं। अत आप उनकी शरण में जाएं।

 राजा पर्वत महात्मा के आश्रम में गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा, "महात्मा ने उन्हें बताया की उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था। जिस का पाप वह नर्क में भोग रहे हैं।"

राजा न कहा," कृपया उनकी मुक्ति का मार्ग बताएं।"

महात्मा बोले," मार्गशीर्ष मसके शुक्ल पक्ष में जो एकादशी आती है। उस एकादशी का आप उपवास करें। एकादशी के पुण्य के प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी।" राजा ने महात्मा के कहे अनुसार व्रत किया उस पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई और वह स्वर्ग में जाते हुए अपने पुत्र से बोले, "हे पुत्र! तुम्हारा कल्याण हों, यह कहकर वे स्वर्ग चले गए।"

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