Friday, November 29, 2024
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मोक्षदा एकादशी के दिन कथा सुननें से मिलता है कई हजार यज्ञ का फल

नई दिल्ली: हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायिनी है। इस एकादशी के दिन व्रत करके गीता के ग्यारहवें

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 20, 2015 20:07 IST
mokshada ekadash
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रात को भोजन करने वाले को उपवास का आधा फल मिलता है, जबकि निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते।

व्रत का महत्व
मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए मोक्ष प्रदायिनी श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।

श्रीमद्भगवद्गीता में अठारह अध्याय हैं। गीता के ग्यारहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को विश्वरूप के दर्शन का वर्णन किया गया है। इस अध्याय में बताया गया है कि अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण को संपूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त देखा। श्री कृष्ण में ही अर्जुन ने भगवान शिव, ब्रह्मा एवं जीवन मृत्यु के चक्र को भी देखा। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पद्म पुराण के अनुसार माना गया है कि इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है और पितरों को सद्गति मिलती है। माना जाता है कि इस व्रत की केवल कथा सुनने से ही हजारों यज्ञ का फल मिलता है।

अगली स्लाइड में कथा के बारें में पूरी जानकारी

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