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मोक्षदा एकादशी के दिन कथा सुननें से मिलता है कई हजार यज्ञ का फल

नई दिल्ली: हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायिनी है। इस एकादशी के दिन व्रत करके गीता के ग्यारहवें

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 20, 2015 20:07 IST
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नई दिल्ली: हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायिनी है। इस एकादशी के दिन व्रत करके गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करने वाले के पाप कट जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष पाने का अधिकारी बना जाता है। इस बार यह एकादशी 21 दिसंबर, सोमवार को है।

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धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे। जो मोक्ष प्रदान करता है। इस दिन ऐसे करें भगवान कृष्ण की पूजा। इसे बैकुंठ एकादशी के नाम से भी जानते है।

ऐसे करें पूजा

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें । इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे।

अगले दूसरे दिन यानी की 22 दिसंबर, मंगलवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

शास्त्रों के अनुसर माना जाता है कि इस व्रत का फल हजारों यज्ञों से भी अधिक है।

अगली स्लाइड में महत्व और कथा के बारें में पूरी जानकारी

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