धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार ये अमावस्या 16 जनवरी मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन मौन रहना, दान और स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है। इसके साथ ही मंगलवार होने के कारण इसे भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दौरान सभी देवी देवता प्रयाग तीर्थ में इकट्ठे होते हैं माघ की अमावस्या के दिन यहां पितृलोक के सभी पितृदेव भी आते हैं। अतः यह दिन पृथ्वी पर देवों एवं पितरों के संगम के रूप में मनाया जाता हैं।
शुभ मुहूर्त
16 जनवरी मंगलवार को अमावस्या सू्र्योदय काल से 5 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। इसके बाद दूसरे दिन सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। इस कारण श्राद्ध कर्म करना सोमवार को ठीक रहेगा।
हुआ था द्वापर युग का प्रारम्भ
माघ कृष्ण अमावस्या के विषय में मान्यता है कि इसी दिन द्वापर युग का प्रारम्भ हुआ था। जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन भगवान मनु महाराज का जन्म हुआ था। इसके लिए ब्रह्मा जी के मनु तथा शतरुपा को उत्पन्न करके सृष्टि उत्पन्न करने का आदेश दिया था। इसीकारण ब्रह्मा जी की आज्ञा से मनु महाराज ने शतरूपा सहित पृथ्वी के प्राणियों की रचना की थी। इसलिए इसे दिन का अधिक महत्व है।