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मां शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर, दर्शन मात्र से हो जाती है हर मुराद पूरी

नवरात्र का पहला दिन शैलपुत्री का माना जाता है। इसी तरह शैलपुत्री का एक प्राचीन मंदिर पूरे भारत में फेमस है। यह मंदिर वाराणसी में स्थित है।

India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 08, 2016 8:51 IST

mata shailputri

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इसके अनुसार मां पार्वती ने हिमवान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं एक बार की बात है जब माता किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हो गई और कैलाश से काशी आ गईं इसके बाद जब भोलेनाथ उन्हें मनाने आए तो उन्होंने महादेव से आग्रह करते हुए कहा कि यह स्थान उन्हें बेहद प्रिय लगा लग रहा है और वह वहां से जाना नहीं चाहती जिसके बाद से माता यहीं विराजमान हैं माता के दर्शन को आया हर भक्त उनके दिव्य रूप के रंग में रंग जाता है।

यह एक ऐसा मंदिर है जहां पर माता शैलपुत्री की तीन बार आरती होने का साथ-साथ तीन बार सुहाग का सामान भी चढ़ता है। भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है।उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी।

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