नई दिल्ली: हिंदू धर्म में हर अमावस्या और पूर्णिमा का बहुत ही अधिक महत्व है। इन्ही में से एक अमावस्या है। मार्ग शीर्ष की अमावस्या। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है।
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जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी का पूजन कर 'दीपावली' बनाई जाती है, उसी तरह इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है। इसके अलावा अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य आदि भी किए जाते है।
मार्ग शीर्ष अमावस्या के दिन को पितरों का दिन भी माना जाता है। इस दिन पूर्वजों से संबंधित काम करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महिनें का महत्व हिंदू धर्म के पुराणों में अधिक महत्व बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए।
जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को इस दिन ब्रत जरुर रखना चाहिए। इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का व्रत रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
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