धर्म डेस्क: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेला सिंहस्थ कुंभ मौजूद लाखों नागा साधुओं के साथ और लोग भी नागा साधु की दीक्षा लेगे। शिप्रा नदी के तट पर जल्द ही दत्त आखाड़ा एक बार फिर हजारों नागा साधुओं को दीक्षा देगा।
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माना जा रहा है कि मई के दूसरे सप्ताह में पंच दशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशनंद महाराज नागा दीक्षा देगे। लेकिन अभी इसकी तारीख नहीं तय हुई है कि पांच सत्र में चलने वाले दीक्षा कार्यक्रम कब से शुरु होगा। शैव संप्रदाय के अखाड़े की दीक्षा जल्द ही एक बैठक में घोषित कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि यह दीक्षा मई के दूसरे सप्ताह में दी जाएगी।
अग्रि अखाड़े ते महामंडलेश्वर कैलाशनंद ब्रह्मचारी ने बताया कि संतो के सात अखाड़ों में से केवल शैव मत में ही नागा संन्यासी की दीक्षा दी जाती है। जो लोग साधु बनना चाहते है वह कुंभ और अर्ध कुंभ का इंतजार करते है। इनता जीवन ग्रहस्थ जीवन से 100 गुना ज्यादा कठिन होता है।
ऐसे होगा दीक्षा का चरण
सबसे पहले किसी भी व्यक्ति को ब्रह्मचारी होने की दीक्षा दी जाती है। उस परीक्षा में पास होने के बाद महापुरुष दीक्षा होती है। फिर इसके बाद यज्ञोपवीत और स्वयं का पिंडदान की प्रक्रिया होती है। अंत में नागा की इंद्री तोड़ कर उसे नागा साधु की जमात में शामिल कर लिया जाता है। और अंतिम दीक्षा के बाद वह संसारिक मोह-माया से दूर हो जाते है।