नई दिल्ली: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष को प्रदोष पड़ रहा है। इस बार यह व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, जिसके कारण इसे मंगल प्रदोष या भौम प्रदोष भी कहते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इश प्रदोष व्रत को करने से आपको शारीरिक समस्याओं और कर्ज से मुक्ति मिल जाती है। इस बार यह व्रत 8 दिसंबर, मंगलवार को हैं।
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ज्योतिषों के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत हो। इस दिन निर्जला व्रत रहा जाता है। इसके बाद नंदी जी गणपति, कुमार कार्तिकेय, माता गौरा की पूजा और नाग पूजन करें। इसके बाद घी का दीपक जलाकर पंचामृत यानी कि कच्चा दूध, दही, शहद, देसी घी और शक्कर से शिवाभिषेक करें|
इसके बाद भगवान शिव को बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। दिन भर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों में आप महामृत्युजंय के मंत्र का जाप भी कर सकती है।.
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम |
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात ||
शाम को फिर से स्नान कर शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। माना जाता है कि भगवान शिव को अभिषेक अत्यंत प्रिय है| पूजा के समय पवित्र भस्म से स्वयं को पहले त्रिपुंड लगाना अत्यंत शुभ होता है|
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