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मकर संक्रांति 2020: आर्थिक लाभ के लिए करें ये खास उपाय, पुण्य फल के लिए करें इस मंत्र का जाप

संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। इसके साथ ही इन उपायों को करने से होगी हर इच्छा पूरी।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: January 14, 2020 17:52 IST
Makar Sankranti 2020- India TV Hindi
Makar Sankranti 2020

माघ कृष्ण पक्ष की उदया चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है। चतुर्थी तिथि आज दोपहर 2 बजकर 50 मिनट तक ही रहेगी उसके बाद पंचमी तिथि लग जायेगी। साथ ही सूर्य की मकर संक्रांति है, यानी सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास या धनुर्मास भी समाप्त हो जायेगा। अब तक जो शादी- ब्याह आदि शुभ कार्यों पर रोक लगी थी, वो हट जायेगी और फिर  से शादियों का सीज़न शुरू हो जायेगा। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सूर्य की मकर संक्रांति 14 जनवरी को देर रात 2 बजकर 08 मिनट पर शुरु होगी और अगले 30 दिन यानि 13 फरवरी दोपहर 2 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा यह भी बता दूं की मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को है।

वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं | इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है, तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सीधे शब्दों में कहें तो सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसलिए कहीं- कहीं पर मकर संक्रान्ति को उत्तरायणी भी कहते हैं। उत्तरायण काल में दिन बड़े हो जाते हैं तथा रातें छोटी होने लगती हैं, वहीं दक्षिणायन काल में ठीक इसके विपरीत- रातें बड़ी और दिन छोटा होने लगता है।

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने पर सभी कष्टों का निवारण हो जाता है । इसलिये इस दिन दान जप तप का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन को दिया गया दान विशेष फल देने वाला होता है। इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए। और संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें।

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साथ ही मत्स्य पुराण के 98वें अध्याय के 17 वें भाग से लिया गया यह श्लोक पढ़ना चाहिए-

‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।‘ 

इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो।

संक्रांति के दिन व्रत के विषय में मत्स्य पुराण के आठवें अध्याय में वर्णन मिलता है, लेकिन यहां एक बात और बता दूं कि नारद के हवाले से हेमाद्रि के कालखण्ड के 183 पृष्ठ पर ये      वचन आया है कि पुत्रवान ग्रहस्थ को संक्रांति पर, कृष्ण एकादशी पर और चन्द्र - सूर्य ग्रहण पर उपवास नहीं करना चाहिए। संक्रांति के दिन दान दक्षिणा या धार्मिक कार्य का सौ गुना फल मिलता है। कहा भी गया है-
माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥

  • मकर संक्रान्ति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उड़द की दाल और चावल का दान किया जाता है। साथ ही चिउड़ा, सोना, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का भी महत्व है। दान के बाद बिना तेल वाला भोजन करना चाहिए और यथाशक्ति अन्य लोगों को भी भोजन देना चाहिए।

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  • सभी संक्रांति पर विभिन्न नदियों में स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अगर आप वहां जाने में असमर्थ हैं तो इसदिन घर पर ही सामान्य पानी से स्नान करना चाहिए और हो सके तो, उस जल में थोड़ा –सा पवित्र नदियों का जल मिलाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति निरोगी होता है और उसे धन कीकोई कमी नहीं होती।
  • कहते हैं संक्रांति से एक दिन पूर्व, यानी आज के दिन व्यक्ति को केवल एक बार मध्याहन में भोजन करना चाहिए और संक्रांति के दिन दांतों को साफ करके स्नान करना चाहिए । इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन कुछ उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। अपने सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिये मकर संक्रांति के दिन चौदह की संख्या में किसी भी एक चीज़ का सुहागिन औरतों को दान करना चाहिए।
  • अपने मन की कोई इच्छा पूरी करना चाहते हैं, तो मकर संक्रांति के दिन तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते पानी में प्रवाहित करें। साथ ही एक लाल कपड़े में गेहूं और गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद को दान करें। आपकी इच्छा जल्द ही पूरी होगी।

  • मकर संक्रांति के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर, सूर्य के उगने पर तांबे के लोटे या गिलास में शुद्ध जल लेकर, उसमें कुमकुम और लाल फूल डालकर भगवान को अर्घ्य दें। फिर कुश के आसन पर बैठकर सूर्य गायत्री मंत्र का इच्छानुसार जाप करें। मंत्र है-ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।
  • आर्थिक रूप से लाभ पाने के लिये मकर संक्राति के दिन सुबह के समय स्नान के बाद पूर्व दिशा में एक पाटे पर सफेद कपड़ा बिछाकर, उस पर सूर्य देव की तस्वीर या मूर्ति रखें। अब
  • पाटे के सामने आसन बिछाकर बैठें और पंचोपचार से भगवान की पूजा करें। पूजा के बाद भगवान को गुड़ का भोग लगाएं और अंजुलि में लाल फूल लेकर अर्पित करें। अब 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करें। अगर संभव हो तो लाल चंदन की माला से मंत्र जाप करें। मंत्र है- ‘ऊँ घृणि सूर्याय नमः’
  • सूर्यदेव के शुभ फल प्राप्त करने के लिये मकर संक्रांति के दिन गुड़ और कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करें। मकर संक्रांति के दिन आदित्य ह्रदय स्रोत पढ़ने या सुनने से मामले मुकदमे में जीत हासिल होती है।

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