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जयंती विशेष: हिंदी कविता के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के बारें में जानें कुछ खास बातें

आधुनिक हिंदी कविता के दिग्गज और खड़ी बोली के खास तरहीज देने वाले मैथिलीशरण गुप्त की आज जयंती है। जिन्हें राष्ट्रकवि माना जाता है। जो आज हम हिंदी बोलते और लिखते है। उसे हिंदी काव्य की भाषा से प्रतिष्ठित रुप देने का सबसे बड़ा योगदान इन्हीं का है। जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 03, 2018 12:46 IST
Maithilisharan Gupt- India TV Hindi
Maithilisharan Gupt

नई दिल्ली: आधुनिक हिंदी कविता के दिग्गज और खड़ी बोली के खास तरहीज देने वाले मैथिलीशरण गुप्त की आज जयंती है। जिन्हें राष्ट्रकवि माना जाता है। जो आज हम हिंदी बोलते और लिखते है। उसे हिंदी काव्य की भाषा से प्रतिष्ठित रुप देने का सबसे बड़ा योगदान इन्हीं का है। जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

  1. मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को उत्तरप्रदेश के झांसी के पास चिरगांव नामक गांव में हुआ था।
  2. बचपन में खूलेकूद में ज्यादा ध्यान देने के कारण पढ़ाई अधूरी रह गई। जिसके बाद उन्होंने घर पर ही बंगला, हिंदी, संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया।
  3. महज 12 साल की उम्र में मैथिलीशरण गुप्त ब्रजभाषा में कविता लिखना शुरु कर दिया था।
  4. मैथिलीशरण गुप्त को मुंशी अजमेरी जी ने मार्गदर्शन किया।
  5. उनकी कविताएं  मासिक 'सरस्वती' में प्रकाशित होना शुरु हो गई थी। जिसमें पहला काव्य संग्रह 'रंग में भंग' और बाद में 'जयद्रथ वध' प्रकाशित हुआ।  
  6. उन्होंने ब्रज भाषा में 'कनकलता' नाम से कविताएं लिखनी शुरू कीं। फिर महावीर प्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आने के बाद वह खड़ी बोली में कविताएं लिखने लगे।
  7. साल 1914 में राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत 'भारत भारती' का प्रकाशन किया। जो कि गुलाम भारत में देशप्रेम और निष्ठा की सर्वश्रेष्ठ कृति थी। इसमें भारत के अतीत और वर्तमान का चित्रण तो था ही, भविष्य की उम्मीद भी थी। भारत के राष्ट्रीय उत्थान में भारत-भारती का योगदान अद्भुत है।
  8. साल 1931 में 'साकेत' तथा 'पंचवटी' आदि अन्य ग्रंथ पूरे किए। इसी बाच वे राष्ट्रपिता गांधी जी के संपर्क में आए थे। जिसके बाद गांधी जी ने उन्हें 'राष्टकवि की संज्ञा प्रदान की। इन्होंने देश प्रेम, समाज सुधार, धर्म, राजनीति, भक्ति आदि सभी विषयों पर रचनाएं की। राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण राष्ट्रकवि का दर्जा मिला।
  9. 'साकेत' में उर्मिला की कहानी के जरिए गुप्त जी ने उस समय की स्त्रियों की दशा का सटीक चित्रण किया। उन्होंने उर्मिला के त्याग के दर्द को सामने लाए।
  10. 1932 में 'यशोधरा' का प्रकाशन हुआ। यह भी महिलाओं के प्रति उनकी गहरी संवेदना दिखाता है।
  11. मैथिलीशरण गुप्त जी ने 5 मौलिक नाटक लिखे हैं:- अनघ, चन्द्रहास, तिलोत्तमा, निष्क्रिय प्रतिरोध और ‘विसर्जन।
  12. व्यक्तिगत सत्याग्रह के कारण उन्हें 1941 में जेल जाना पड़ा। तब तक वह हिंदी के सबसे प्रतिष्ठित कवि बन चुके थे।

मैथिलीशरण गुप्त जी की सबसे अविस्मरणीय कविता

नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
अविस्मरणीय नर हो न निराश करो मन को

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