स्थानीय नागरिको के अनुसार आल्हा और उदल जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वे शारदा माता के बड़े भक्त थे। इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था। तभी से इस मंदिर का नाम माता शारदा माई के नाम से फेमस हो गया।
यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां पर माता शारदा का मंदिर है। इस मंदिर में माता की मूर्ति के साथ-साथ काल भैरवी, हनुमन जी, काली मां, गौरी शंकर,शेषनाग, ब्रह्म देव, फूलमती माता आदि देवी-देवता की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण गोंड शासको ने करवाया था। साथ ही यहां के लोगो का मानना है कि यहां पर 52 शक्ति पीठों में एक भाग यहां गिरा था, लेकिन शास्त्रों में इस जगह के बारें में कुछ नहीं मिलता है। लेकिन फिर भी यहां पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
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