धर्म डेस्क: महालया मांगलिक पर्व दुर्गा पूजा से सात दिन पहले नए चांद के महत्व को दर्शाता है। माना जाता है कि इसके साथ ही त्योहारों की शुरूआत हो जाती है। जो कि आपकी लाइफ में सुख-शांति और समृद्धि लाती है।
महालया यानी मां का आवाहन आज 19 सितंबर को है। इसमें मां दुर्गा का अवाहन किया जाता है। आपको बता दें कि शारदीय नवरात्र 21 सितंबर से शुरू होकर 29 सितंबर तक चलेगी। साथ ही दशहरा 30 सितंबर को मनाया जाएगा।
अश्विन महीने की अमावस्या को महालया होती है। दशहरे के पहले जो अमावस्या की रात आती है उसे 'महालया अमावस्या' के नाम से जाना जाता है। एक तरह से इसी दिन से दशहरा की शुरुआत हो जाती है।
जानिए क्या है महालया
पितृपक्ष भाद्र पद मास की पूर्णिमा को शुरू होता है और 16 दिन रहता है। इसके बाद अश्विन मास की अमावस्या को खत्म हो जाता है। महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता व पितरों का आवाहन है। 15 दिनों तक पितृ पक्ष तिथि होती है और महालया के दिन सभी पितरों का विसर्जन होता है।
अमावस्या के दिन पितर अपने पुत्रादि के द्वार पर पिंडदान एवं श्राद्ध की आशा से जाते हैं। पितरों को पिंडदान और तिलांजलि करनी चाहिए। लोग अमावस्या के दिन पितरों का तरपन व पारवन करते हैं। उनको दिया हुआ जल व पिंड पितरों को प्राप्त होता है।
गरूड पुराण में पितृपक्ष के बाद आने वाले महालया अमावस्या का खास महत्व है। हिंदू धर्म की मान्यतानुसार इस दिन हमारे पूर्वज या पितृगण वायु के रूप में हमारे घर के दरवाजे पर आकर दस्तक देते हैं तथा अपने घर परिवार वालों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं। वे चाहते हैं कि उनके घर परिवार वाले उनका श्राद्ध करें और उन्हे तृप्त करके दोबारा विदा करें। अकाल मृत्यु से ग्रसित व्यक्तियों का श्राद्ध भी इसी दिन होता है।
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