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Mahalaxmi Vrat 2020: महालक्ष्मी व्रत के समापन पर मिलेगी अखंड लक्ष्मी, जानिए शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजा विधि

MahaLaxmi Vrat 2020: माता महालक्ष्मी व्रत 26 अगस्त से शुरू हुए थे और 10 सितंबर को शाम के समय देवी मां के पूजन के साथ महालक्ष्मी व्रत सम्पूर्ण होगा। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए महालक्ष्मी व्रत की पूरी समापन विधि ।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 09, 2020 10:42 IST
महालक्ष्मी व्रत समापन...- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/KSK_KITCHEN महालक्ष्मी व्रत समापन विधि

आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और गुरुवार का दिन है। अष्टमी तिथि पूरा दिन पार करके देर रात 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि लग जायेगी। आपको बता दें कि माता महालक्ष्मी व्रत  26 अगस्त से शुरू हुए थे और 10 सितंबर को शाम के समय देवी मां के पूजन के साथ महालक्ष्मी व्रत सम्पूर्ण होगा।  आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए महालक्ष्मी व्रत की पूरी समापन विधि । 

व्रत समापन के लिए सामग्री

  • पूजा के लिए दो सूप
  • 16 मिट्टी के दिये
  • प्रसाद के लिये सफेद बर्फी
  • फूल माला
  • तारों को अर्घ्य देने के लिये यथेष्ट पात्र
  • 16 गांठ वाला लाल धागा
  • हर चीज सोलह की गिनती में होनी चाहिए जैसे 16लौंग, 16 इलायची या 16 सुहाग के सामान आदि।
  • धूप बत्ती
  • सिंदूर

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महालक्ष्मी व्रत

Image Source : INSTAGRAM/NONIES_ENJOYISH
महालक्ष्मी व्रत

लक्ष्मी पूजा की विधि

शाम को पूजा के लिए सबसे पहले अपने हाथ में वही 16 गांठों वाला लाल धागा बांध लें, जो आपने व्रत के पहले दिन बांधा था | फिर माता महालक्ष्मी के आगे 16 देसी घी के दीपक जलायें और धूपदीप से देवी मां कीपूजा करें। साथ ही फूल चढ़ाइए, लेकिन ध्यान रहे देवी मां को कभी भी हरसिंगार का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।  फिर एक सूप में सोलह चीजें सोलह-सोलह की संख्या में रखें कर उसे दूसरे सूप से ढककर दान का संकल्प करें और उसे माता के निमित्त दान करने का संकल्प करें। संकल्प के लिये ये मंत्र पढ़ें -

क्षीरोदार्णव सम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्रसहोदरा |

हे क्षीर सागर से उत्पन्न चन्द्रमा की सगी बहन माता महालक्ष्मी  मैं यह सब आपके निमित्त दान कर रहा हूं। इस प्रकार संकल्प लेकर उस सूप को वहीं रखा रहने दें।

अब दीपक में ज्योति जलाकर माता महालक्ष्मी का मंत्र जपें का जाप कीजिये। मंत्र इस प्रकार है -

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद 
श्री ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यैनमः।"

जप के बाद माता महालक्ष्मी की आरती कीजिये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाइए। इस प्रकार पूजा के बाद तारों को जल से अर्घ्य दें और आरती करें। इसके बाद, अगर विवाहित हैं तो अपने जीवनसाथी का हाथ पकड़ें कर, अन्यथा स्वयं ही तीन बार उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारें ये-

हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ......, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ......, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ इसके बाद जो व्रती है, वो अपने लिये और माता महालक्ष्मी के लिये अलग-अलग थाली में भोजन निकालिये। 

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अगर आप विवाहित हैं और आपने जोड़े में ये व्रत किया है, तो देवी मां और अपने साथ-साथ अपने जीवनसाथी के लिये भी थाली में भोजन निकालिये। संभव  हो तो माता महालक्ष्मी के लिये चांदी की थाली में भोजन लगायें  । भोजन करने के बाद अपनी थालियां उठा लें, लेकिन माता की थाली को, किसी दूसरी थाली से ढक्कर वहीं पर रखा छोड़ दें। 

अगले दिन सुबह माता की  थाली का भोजन गाय को खिला दें और सूप में रखा हुआ दान का सामान किसी लक्ष्मी मंदिर में दान कर दें। इसके अलावा16 गांठों वाले धागे को अपनी तिजोरी में संभाल कर रख लें।

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