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महालक्ष्मी व्रत 12 को: इस विधि से समापन कर पाएं मां का आर्शीवाद

महालक्ष्मी व्रत 29 अगस्त को शुरु हुआ था जो कि 12 सितंबर को समाप्त हो रहे है। जिस तरह लगातार 16 दिन हम विधि-विधान के साथ लक्ष्मी पूजा करते है। उसी तरह विधि-विधान के साथ समापन भी करना चाहिए। जानइए समापन की पूरी विधि...

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 11, 2017 14:22 IST
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धर्म डेस्क: महालक्ष्मी व्रत 29 अगस्त भाद्रपद के शुक्लपक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। यह व्रत 16 दिन तक आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 12 सितंबर, मंगलवार को समाप्त हो जाएंगे। सोलह दिन तक मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करता है। उसे सात जन्मों तक अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

महालक्ष्मी की विधि-विधान और व्रत के करने के बाद समापन बिधि भी सही तरीके से करना चाहिए, नहीं तो पूर्ण फल नहीं मिलता है। जानिए समपन विधि के बारें में।  

ऐसे करें पूजा

सामग्री

  • दो सूप
  • 16 मिट्टी के दिये
  • प्रसाद के लिये सफेद बर्फी
  • 16 चीजें- हर चीज सोलह की गिनती में होनी चाहिए- जैसे 16 लौंग, 16 इलायची,
  • 16 सुहाग का सामान आदि।
  • फूल माला
  • तारों को अर्घ्य देने के लिये यथेष्ट पात्र
  • 16 गांठ वाला लाल धागा

ऐसे  करें विधि-विधान से पूजा
उस दिन शाम के समय पूजा करनी है। देखों यह पूजा पहले दिन शुरू सुबह के समय हुई थी और आखिरी दिन शाम के समय समाप्त होती है। माता महालक्ष्मी के आगे 16 देसी घी के दीपक जलायें और धूपदीप से पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन करें।

एक सूप में सोलह चीजें रखकर उसे दूसरे सूप से ढंक दें। इसे माता के निमित्त दान करने का संकल्प करें और इस मंत्र के साथ करें
 'क्षीरोदार्णव सम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्रसहोदरा'|
अब अपने हांथ में 16 गांठों वाला लाल धागा बांध लीजिए।
दीपक जलाकर मंत्र जाप कीजिए।
'ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः'
इसके बाद आप आरती करें और भोग लगाएं। पूजा के बाद बाहर आकर तारों के प्रति अर्घ्य दीजिए। अर्घ्य देने के बाद जीवन साथी का हाथ पकड़कर तीन बार उत्तर की ओर मुंह करके पुकारिए-
हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ, हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ |
 
अर्घ्य देने के बाद अन्दर आकर तीन थालियों में भोजन लगाइये। एक-एक थाली आप दोनों की, और एक माता महालक्ष्मी की। भोजन के बाद अपनी थालियां उठा लें, लेकिन माता की थाली वहीं छोड़ दें। उसे रात में ढंक कर रख दें।

अगले दिन सुबह माता जी की थाली किसी गाय को खिला दें और सूप में रखा हुआ दान का सामान किसी मंदिर में दान कर दें और 16 गांठों वाला धागा अपनी तिजोरी में संभाल कर रखें | इससे घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी।

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