Mahalakshmi Vrat 2019 Subh Muhurat and Puja Vidhi: भाद्रपद शुक्ल अष्टमी की तिथि राधाष्टमी के अलावा बेहद ही विशेष 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भी हो रहा है। अगर मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो इन 16 दिनों तक जगदंबा की विधि विधान से पूजा कर उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
6 अगस्त, शुक्रवार की शाम 05 बजकर 25 मिनट तक विष्कुम्भ योग है लिहाज़ा सुबह के समय कलश स्थापना नहीं की जा सकती है। कलश स्थापना के लिए शाम 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 37 मिनट तक और उसके बाद रात 09 बजकर 28 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा महानिशीथकाल के प्रेमी रात 12 बजकर 19 मिनट से 1 बजकर 44 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं।
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महालक्ष्मी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि
आचार्य इंदु फ्रकाश के अनुसार आपको नहा धोकर तय जगह पर साफ सफाई के बाद निर्धारित मुहूर्त में कलश स्थापना करनी है। साथ ही कलश पर लाल कपड़े में लपेटकर एक कच्चा नारियल भी आपको रख देना है। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लें और उस पर सफेद रेशमी कपड़ा बिछाकर, महालक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें। लेकिन ध्यान रखें कि अगर तस्वीर की जगह आप कोई मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो पाटे पर सफेद की बजाय लाल वस्त्र बिछाएं। अब आपको मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाना है। आप चाहे तो 16 दिनों तक अखंड जोत जला सकते हैं लेकिन अगर किसी भी कारण से ये संभव ना हो तो सुबह-शाम देवी मां के आगे घी का दीपक जलाया जा सकता है।
आपको रोज़ाना मेवे व मिठाई का भोग भी देवी महालक्ष्मी को लगाना चाहिए। मां के सामने दीपक जलाने व भोग लगाने के बाद घर में जितने सदस्य हैं, उतने लाल रेशमी धागे या कलावे के टुकड़े लेकर उसमें 16 गांठे आपको लगानी है और उसके बाद सभी सदस्यों को वो धागा अपने दाहिने हाथ की कलाई पर बांध लेना चाहिए। जब पूजा संपन्न हो जाए तो ये धागा खोलकर वापस लक्ष्मी जी के चरणों में आपको रख देना है इस तरीके से महालक्ष्मी की पूजा करेंगे तो मां की कृपा सदैव आप पर बनी रहेगी।
वहीं अगले 16 दिनों तक आप महालक्ष्मी के विशेष मंत्र का जप भी कर सकते हैं। ये मंत्र है-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
वहीं अगर आपको ये मंत्र बोलने में किसी तरह की परेशानी आये तो आप केवल “श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जप भी कर सकते हैं, क्योंकि लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र “श्रीं” ही है। इस मंत्र का हर रोज़ कम से कम एक माला जप करना चाहिए।