कटासराज मंदिर: भारत सहित कई देशों में भगवान शिव के अनेकों मंदिर स्थित है। महाशिवरात्रि के मौके पर भोलेनाथ के भक्त मन से पूजा पाठ करते हैं। शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का मौका बहुत ही खास होता है कि भगवान शिव को खुश कर सकें। भारत के शिव मंदिरों में तो महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का खूब तांता लगा रहता है। इसके अलावा पाकिस्तान में भी एक शिव मंदिर स्थित है। जी हां इस मंदिर का नाम है कटासराज मंदिर। इसकी अपनी ही ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं है। कहा जाता है कि यहीं यक्ष-युद्धिष्ठिर संवाद हुआ था, यहीं देवी सती की अग्नि समाधि के बाद भगवान शिव के आंसू गिरे थे और विश्व प्रसिद्ध रोमां संगीत की उत्पत्ति का क्षेत्र भी यही माना जाता है।
आपको बता दें कि कटासराज मंदिर पाकिस्तान से 40 कि.मी. दूर पंजाब प्रांत के जिला चकवाल में स्थित है।यह कटस में एक पहाड़ी पर स्थित है। महाभारत काल में भी यह मंदिर था।
पहले इस जगह बहूत सारे मंदिर थे लेकिन इस समय केलव 4 मंदिर के ही अवशेष बचे है। जिसमें भगवान शिव, राम और हनुमान जी के मंदिर है।
कटराज मंदिर को लेकर मान्यता
मान्यता हैं कि पौराणिक काल में भगवान शिव जब सती की अग्नि-समाधि से काफी दुखी हुए थे तो उनके आंसू दो जगह गिरे थे। एक से कटासराज सरोवर का निर्माण हुआ तो दूसरे से पुष्कर का।
कटासराज शब्द की उत्पत्ति 'कटाक्ष' से मानी जाती है जो सती के पिता दक्ष प्रजापति ने शिव को लेकर किए थे। इस वजह से हिंदुओं में इस जगह की खासी प्रतिष्ठा है. ऐसी मान्यता है महाभारत काल में प्रसिद्ध यक्ष-युधिष्ठिर संवाद भी यहीं हुआ था और युधिष्ठिर ने यहां की सुंदरता की काफी तारीफ की थी।
महाभारत में इसे द्वैतवन कहा गया है जो सरस्वती नदी के तट पर स्थित थ। उस हिसाब से सरस्वती नदी पर शोध करने वालों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण जगह है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण यहां शिव मंदिर में दर्शन करने को लेकर हमेशा ही माहौल गर्म रहा है।
हाल में कटासराज और पाकिस्तान के अन्य हिंदू मंदिरों के बारे में जानने की लोगों की रूचि बढ़ी है। हालांकि उन पर लेखन कम ही हुआ है। भारतीय वित्त सेवा के अधिकारी अखिलेश झा ने कटासराज पर एक किताब लिखी है जिसका नाम है- कटासराज: एक भूली बिसरी दास्तान। यह किताब कटासराज का एक सुंदर दस्तावेजीकरण है।
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