धर्म डेस्क: पूरे साल हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन वर्षभर में की जाने वाली सभी शिवरात्रियों में से फाल्गुन कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है और इसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन से सृष्टि का प्रारंभ माना जाता है। वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे-
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥
मंत्र उच्चारण और शिवलिंग की पूजा के बाद दस द्रव्यों से दशांश होम भी करना चाहिए। वे दस द्रव्य हैं- बेलफल, तिल, खीर, घी, दूध, दही, दूर्वा, वट की समिधा, पलाश की समिधा और खैर की समिधा। इन सब चीज़ों से होम करने पर अलग-अलग फल मिलते हैं।
- धन-सम्पत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिये बेलफल से हवन करना चाहिये।
- अपने काम समय रहते और आसानी से पूरा करने के लिये तिल से होम करना चाहिए।
- लक्ष्मी तथा कीर्ति की प्राप्ति के लिये खीर से होम करना चाहिए।
- राजनीति में सफलता पाने के लिये घी और दूध के साथ अन्न से होम करना चाहिए।
- मानसिक शांति के लिये गाय के दूध का होम करना चाहिए। वहीं अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दूध में गिलोय, यानी अमृता के टुकड़े मिलाकर होम करना चाहिए।
- विवादों और ऐसे लोगों से बचने के लिये जो आपके विरूद्ध षडयंत्र रचते हैं, आज के दिन दही का होम करना चाहिए।
- किसी भी प्रकार के भय को नष्ट करने के लिये दूर्वा का होम करना चाहिये।
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