पौराणिक कथा
उन्होंने बताया कि जब सैम देवता अपने गणों के साथ हिमालय जा रहे थे, मार्ग मे चौली की जाली की चट्टानें आ गई। उधर, शिवजी भी उस वक्त चट्टान में धूनी रमाये बैठे थे। यह देख सैम देवता ने भोलेनाथ से मार्ग देने का आग्रह किया परंतु भोलेनाथ तपस्या में लीन होने के कारण सैम देवता का आग्रह नहीं सुन सके। यह देख सैम देवता को क्रोध आ गया और अपने अस्त्र से चट्टान में प्रहार कर दिया। जिससे एक बड़ा छेद हो गया।
बाद में सैम देवता इसी छेद से अपने गंतव्य को रवाना हुए। फिलहाल हानी जो भी हो पर क्षेत्र में चौली की जाली का प्राचीन नाम चौथा जाली बताया जाता है और लोगों की आस्था से जुड़ा है। जिसे आज भी इसे नाम से वहां के लोग जानते है।