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महाशिवरात्रि 2020: कई सालों बाद शिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ योग, मिलेगा विशेष लाभ

21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। इस बार शिवरात्रि में कई सालों बाद एक विशेष योग बन रहा है। जो शिवा पूजा के लिए है खास।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 11, 2020 19:33 IST
Mahashivratri 2020- India TV Hindi
Mahashivratri 2020

21 फरवरी को फाल्गुन कृष्ण पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी और शुक्रवार का दिन है। | त्रयोदशी तिथि शाम 5 बजकर 22 मिनट तक ही रहेगी | उसके बाद चतुर्दशी  तिथि शुरू हो जाएगी और प्रत्येक वर्ष की फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है | वैसे तो पूरे साल की प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शंकर को समर्पित मास शिवरात्रि का व्रत किया जाता हैं | लेकिन वर्षभर में की जाने वाली सभी शिवरात्रियों में से फाल्गुन कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है।

माना जाता है कि इस दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था | वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि-

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि।
शिवलिंग तयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:॥

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फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे | जबकि कई मान्यताओं में माना जाता है कि- इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है ।

गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है । कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं |

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बन रहा है शुभ योग
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार सर्वार्थसिद्धि योग यानि कि सारे काम बनाने वाले योग सुबह 08:16 से 22 फरवरी दोपहर पहले 11:19 तक रहेगा।  इस योग में भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। 

लग रहा है शुभ काल
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन महानिशीथकाल का बहुत महत्व होता है । इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं | महानिशीथकाल 21 फरवरी की रात 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा यानि कि महानिशीथ काल कुल 51 मिनट का होगा ।
शिवरात्रि का व्रत नित्य और काम्य दोनों है | इस व्रत के नित्य होने के विषय में वचन है कि जो व्यक्ति तीनों लोकों के स्वामी रुद्र की भक्ति नहीं करता, वह सहस्त्र जन्मों तक भ्रमित रहता है । अतः ऐसा बताया गया है कि पुरुष या नारी को प्रति वर्ष शिवरात्रि पर भक्ति के साथ महादेव की पूजा करनी चाहिए । नित्य होने के साथ यह व्रत काम्य है, क्योंकि इसके करने से शुभ फल मिलते हैं ।

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