सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगता है।
सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन होता है, इसके बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती कि जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद सभी को दिया जाता है।
माघ पूर्णिमा में गंगा
माघ माह में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व होता है। इस माह की प्रत्येक तीथि फलदायक मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार माघ के महीने में किसी भी नदी के जल में स्नान को गंगा स्नान करने के समान माना गया है। माघ माह में स्नान का सबसे अधिक महत्व प्रयाग के संगम तीर्थ का होता है।