धर्म डेस्क: 21वीं सदी का सबसे लंबा और पूर्ण चंद्रग्रहण 27-28 जुलाई को पड़ेगा। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को खग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह चंद्रग्रहण 103 मिनट तक रहेगा और इसका असर मुख्यत: भारत, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिम एशिया, आस्ट्रेलिया और यूरोप में दिखेगा।
इस बारें में ज्योतिषचार्यों का कहना है कि गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होगा। जो कि अच्छा नहीं माना जाता है। जिसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा। (Chandra Grahan Live Updates: कुछ ही देर में लगने वाला है सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण, यहां देखें Live )
इस कारण होगा इतना लंबा चंद्रगहण
पृथ्वी की छाया के मध्य से चंद्रमा के सीधे गुजरने के कारण यह समय इतना लंबा होगा। इस दौरान सूर्य से अधिकतम दूरी पर होने के कारण पृथ्वी की छाया का आकार बड़ा होगा।
ऐसा पहली बार होगा जब 15 जून, 2011 के बाद पहला केंद्रीय चंद्रग्रहण होगा। पहला चंद्रग्रहण जनवरी में पड़ा था। उसके बाद यह दूसरा पूर्ण चंद्रग्रहण है।
इन राशियों के लिए है अशुभ
ज्योतिषों के अनुसार खग्रास चंद्रग्रहण उत्तरा आषाढ़ व श्रवण नक्षत्र तथा मकर राशि में होगा। जिसके कारण जिनका जन्म नक्षत्र उत्तरा आषाढ़ एवं श्रवण नक्षत्र व जन्म राशि व लग्न मकर है, उनके लिए बहुत ही अशुभ है। मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए थोड़ा बचकर रहें। वहीं अन्य राशियों के लिए यह चंद्रग्रहण मिला-जुला रहेगा।
चंद्रग्रहण कब पड़ता है?
चंद्रग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से गुजरती है। पृथ्वी की छाया चंद्रमा के हिस्से को कवर करती है, तो चंद्रग्रहण लगता है। जब चंद्रमा का पूरा हिस्सा उस छाया के अंदर कवर हो जाता है तो पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है और आंशिक रूप से कवर होता है उसे अर्द्ध चंद्रग्रहण कहते हैं। छाया के अंदर कवर होने से चंद्रमा उस वक्त अंधेरामय लगता है।