रेड मून
इसी तरह पृथ्वी की छाया जब पूरे चांद को ढक देती है उसके बाद भी सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, लेकिन चांद तक पहुंचने के लिए उन्हें धरती के वायुमंडल से गुजरना पड़ता है। इसके कारण सूर्य की किरणें बिखर जाती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल से बिखर कर जब किरणें चांद की सतह पर पड़ती हैं तो सतह पर एक लालिमा बिखर जाती है, जिससे चांद लाल रंग का दिखने लगता है। लाल रंग के कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है।
हमारे संवाददाता टी राघवन ने एस्ट्रो फ़िजिक्स के वैज्ञानिक प्रोफेसर R C कपूर से बात की पूरा वीडियो डेमो देते हुए RC कपूर समझा रहे हैं कि ब्लड मून, ब्लू मून और सुपर मून क्या है और कैसे होता है
RC कपूर ने ग्रहण से जुड़ी अफवाहों पर भी बात की और समझाया कि अफवाहों में समय बर्बाद करने की बजाय लोगों को इस दुर्लभ खगोलीय घटना का लुत्फ लेना चाहिए। RC कपूर ने ये भी समझाया कि वैज्ञानिक नज़रिये से इसके क्या मायने हैं।