आज वैशाख पूर्णिमा के साथ ही श्री कूर्म जयंती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था। नृसिंह पुराण के अनुसार कूर्म, यानी कछुआ भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है। कहते हैं समुद्र मंथन के दौरान देवताओं की सहायता के लिये और मंदरांचल पर्वत को डूबने से बचाने के लिये भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार लिया था, कूर्म की पीठ का घेरा एक लाख योजन का था और समुद्र मंथन के दौरान ही भगवान ने कूर्म सहित अपना दिव्य पुरुष रूप भी दिखाया था। किसी तरह के निर्माण संबंधी कार्य के लिये आज का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। आज कूर्म जयंती का शुभ दिन निर्माण संबंधी कार्यों के साथ ही भूमि पूजन और वास्तु दोषों से छुटकारा पाने के लिये भी उत्तम है।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार अगर आज के दिन पन्द्रह अंकों वाला कूर्म यंत्र घर में स्थापित किया जाये तो इससे घर की सुख-समृद्धि में तो बढ़ोतरी होती ही है, साथ ही वास्तु दोषों से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा यह कूर्म यंत्र लक्ष्मी प्राप्ति के लिये और किसी भी कार्य में विजय दिलाने के लिये बड़ा ही फलदायी है | आप इस यंत्र को भोजपत्र पर या तांबे की धातु आदि पर बनवा सकते हैं या स्वयं भी सफेद रंग के कोरे कागज पर लाल पेन से बना सकते हैं। तो यह कूर्म यंत्र किस प्रकार बनाना है, इसकी विधि भी जान लेते है।
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यंत्र बनाने के लिये सबसे पहले आपको भोजपत्र पर अनार की कलम से या फिर सफेद कोरे कागज पर लाल पेन से एक वर्गाकार आकृति बनानी है और उस वर्गाकार आकृति में 9 खाने बनाने हैं। इस तरह कुल 3 पंक्तियां बनेंगी और हर एक पंक्ति में बायीं से दायीं तरफ 3 खाने होंगे। अब पहली पंक्ति में बायीं से दायीं तरफ जाते हुए विभिन्न तीन खानों में क्रमशः 6, 1 और 8 लिखें। फिर दूसरी पंक्ति में बायीं से दायीं तरफ जाते हुए विभिन्न तीन खानों में क्रमशः 7, 5 और 3 लिखें। इसी तरह आखिरी पंक्ति में भी बायीं से दायीं तरफ क्रमशः 2, 9 और 4 लिखें। इस प्रकार आपका यंत्र बनकर तैयार हो जायेगा। आप जब एक पंक्ति की सारी गिनतियों का चाहें ऊपर से नीचे या दायें से बायीं तरफ जोड़ करेंगे, तो आपको 15 का जोड़ प्राप्त होगा। इसी तरह हर पंक्ति को जोड़ने पर 15 ही आयेगा। 15 के इस जोड़ के कारण ही इस यंत्र को पन्द्रह का यंत्र भी कहते हैं।
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कहा जाता है कि इस पंद्रह के यंत्र का निर्माण करते समय एक खास शाबर मंत्र का जप कर लेने से और भी अच्छा रहता है , वो मंत्र इस प्रकार है - ऊँ
नमो चामुण्डा माई आई घाई,
मूवा मरा लिया उठाई,
बाल रखे बालनी कपाल राखे,
कालिका दाई भुजा नृसिंह वीर बाई हनुमंत वीर राखे.......
वीरों का वीर खेलता आवता वीर लगावे पाय,
जो यह घट पिंड की रक्षा करे तो उलट वेद वाही पर पड़े चलो।
इस प्रकार यंत्र का निर्माण करके उसे उचित स्थान पर स्थापित करके, उसकी विधि- पूर्वक धूप-दीप आदि से पूजा करें और पूजा आदि के बाद आप इस यंत्र को घर में या ऑफिस में जहां चाहें स्थापित कर सकते हैं। इससे आपको धन लाभ तो होगा ही, साथ ही आपके ऊपर किसी भी वास्तु दोष का प्रभाव नहीं होगा और आपको अपने हर कार्य में सफलता मिलेगी।