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Krishna Janmashtami 2020: जानिए रात्रि को कैसे करें श्रीकृष्ण की पूजा, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार वैष्णव मंदिर या कृष्ण से जुड़े मंदिर 12 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार को करें। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 11, 2020 19:14 IST
जन्माष्टमी 2020 पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/RUDRAVEER_RAJGOR जन्माष्टमी 2020 पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

भादपद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात के समय रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।  इसलिए इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी , गोकुलाष्टमी  जैसे नामों  से भी जाना जाता है। इस दिन लोग व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करके जन्मोत्सव मनाते हैं।  इस  दिन व्रत का विधान है।  अष्टमी तिथि मंगलवार की सुबह से लेकर बुधवार दोपहर पहले 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी । लिहाज़ा अष्टमी की रात मंगलवार ही होगी।  

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार वैष्णव मंदिर या कृष्ण से जुड़े मंदिर 12 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मनाएंगे, लेकिन गृहस्थ लोग उससे कंफ्यूजन न हो। उन्हें  जन्माष्टमी का व्रत मंगलवार  ही करना चाहिए और व्रत का पारण बुधवार के दिन करना चाहिए |

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 7 मिनट 

अष्टमी तिथि समाप्त: 12 अगस्त सुबह 11 बजकर 17 मिनट 

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ- 13 अगस्त को सुबह 3 बजकर 27 मिनट
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 14 अगस्त  5 बजकर 22 मिनट तक 

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जन्माष्टमी 2020 पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

Image Source : INSTAGRAM/SHYAM_DARBAR_KHATU
जन्माष्टमी 2020 पूजा विधि शुभ मुहूर्त और महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि 

भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिसके कारण यह व्रत सुबह से ही शुरु हो जाता है। दिनभर भगवान हरि की पूजा मंत्रों से करके रोहिणी नक्षत्र के अंत में पारण करें। अर्द्ध रात्रि में जब आज श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते वक्त इस मंत्र का ध्यान करें-
"ऊं यज्ञाय योगपतये योगेश्रराय योग सम्भावय गोविंदाय नमो नम:"

इसके बाद श्रीहरि की पूजा इस मंत्र के साथ करनी चाहिए
"ऊं यज्ञाय यज्ञेराय यज्ञपतये यज्ञ सम्भवाय गोविंददाय नमों नम:"

अब श्रीकृष्ण के पालने में विराजमान करा कर इस मंत्र के साथ सुलाना चाहिए-
"विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:"

जब आप श्रीहरि को शयन करा चुके हो इसके बाद एक पूजा का चौक और मंडप बनाए और श्रीकृष्ण के साथ रोहिणी और चंद्रमा की भी पूजा करें। उसके बाद शंख में चंदन युक्त जल लेकर अपने घुटनों के बल बैठकर चंद्रमा का अर्द्ध इस मंत्र के साथ करें।

श्री रोदार्णवसम्भुत अनिनेत्रसमुद्धव।
ग्रहाणार्ध्य शशाळेश रोहिणा सहिते मम्।।

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इसका मतलब हुआ कि हे सागर से उत्पन्न देव हे अत्रिमुनि के नेत्र से समुभ्छुत हे चंद्र दे!  रोहिणी देवी के साथ मेरे द्वारा दिए गए अर्द्ध को आप स्वीकार करें।  इसके बाद महालक्ष्मी, वासुदेव, नंद, बलराम तथा यशोदा को फल के साथ अर्द्ध दे और प्रार्थना करें कि 'हे देव जो अनन्त, वामन. शौरि बैकुंठ नाथ पुरुषोत्म, वासुदेव, श्रृषिकेश, माघव, वराह, नरसिंह, दैत्यसूदन, गोविंद, नारायण, अच्युत, त्रिलोकेश, पीताम्बरधारी, नारायण चतुर्भुज, शंख चक्र गदाधर, वनमाता से विभूषित नाम लेकर कहे कि जिसे देवकी से वासुदेव ने उत्पन्न किया है जो संसार , ब्राह्मणो की रक्षा के लिए अवतरित हुए है। उस ब्रह्मारूप भगवान श्री कृष्ण को मैं नमन करती/करता हूं।' इस तरह भगवान की पूजा के बाद घी-धूप से उनकी आरती करते हुए जयकारा लगाना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करने के बाद अपने व्रत को खो ले।

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खीरे का महत्व

जन्माष्टमी पर लोग श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं, माना जाता है कि नंदलाल खीरे से काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। इस दिन ऐसा खीरा लाया जाता है जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां भी होनी चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार, जन्मोत्सव के समय इसे काटना शुभ माना जाता है। अब आपके दिमाग में घूम रहा होगा कि आखिर खीरे को काटना क्यों शुभ माना जाता है। हम आपको बता दें कि जिस तरह एक मां की कोख से बच्चे के जन्म के बाद मां से अलग करने के लिए 'गर्भनाल' को काटा जाता है। उसी तरह खीरे और उससे जुड़े डंठल को 'गर्भनाल' माना काटा जाता है जोकि कृष्ण को मां देवकी से अलग करने के लिए काटे जाने का प्रतीक है।

ऐसे करें नाल छेदन

खीरे को काटने की प्रकिया को नाल छेदन के नाम से जाना है। इस दिन खीरा लाकर कान्हा के झूले या फिर भगवान कृष्ण के पास रख दें। जैसे ही भगवान कृष्ण का जन्म हो, उसके तुरंत बाद एक सिक्के की मदद से खीरा औऱ डंठल को बीच से काट दें। इसके बाद शंख जरूर बजाए। 

जन्माष्टमी का महत्व

जन्माष्टमी का त्यौहार हिंदुओं द्वारा दुनिया भर में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण हिंदू पौराणिक कथाओं में एक ऐसे भगवान है, जिनके जन्म और मृत्यु के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। जब से श्रीकृष्ण ने मानव रूप में धरती पर जन्म लिया, तब से लोगों द्वारा भगवान के पुत्र के रूप में पूजा की जाने लगी।

भगवत गीता में एक लोकप्रिय कथन है- “जब भी बुराई का उत्थान और धर्म की हानि होगी, मैं बुराई को खत्म करने और अच्छाई को बचाने के लिए अवतार लूंगा।” जन्माष्टमी का त्यौहार सद्भावना को बढ़ाने और दुर्भावना को दूर करने को प्रोत्साहित करता है। यह दिन एक पवित्र अवसर के रूप में मनाया जाता है जो एकता और विश्वास का पर्व है।

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