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Janmashtami 2019: जन्माष्टमी के दिन 'खीरे' के बिना है अधूरी पूजा, कृष्ण जन्मोत्सव पर ऐसे करें नाल छेदन

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन खीरे का बहुत अधिक महत्व होता है। जानें आखिर क्यों और कैसे करें इसका इस्तेमाल।

Written by: Shivani Singh @lastshivani
Updated : August 22, 2019 13:26 IST
krishna janmashtami 2019
krishna janmashtami 2019

कृष्ण जन्माष्टमी( Krishna Janmashtami ) के दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल फिर 2 दिन जन्माष्टमी पड़ रही है। जिसके कारण लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाएं या 24 अगस्त को। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था, सूर्य सिंह राशि में तो चंद्रमा वृषभ राशि में था। इसलिए जब रात में अष्टमी तिथि हो उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए। चूंकि 23 अगस्त को अष्टमी की रात पर रोहिणी नक्षत्र भी है लिहाज़ा गृहस्थों को  इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना है। 24 जुलाई को वैष्णव संप्रदाय व संन्यासी व्रत रखेंगे क्योंकि वैष्णव संप्रदाय उदयकालीन अष्टमी के दिन व्रत करते हैं और ये गोकुलष्टमी व नंदोत्सव मनाते हैं ना कि जन्माष्टमी। यानि वैष्णव नंद के घर लल्ला होने का जश्न मनाते हैं।

जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रृंगार, भोग के साथ एक चीज बहुत ही जरूरी है। जिसके बिना श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव अधूरा माना जाता है। वह चीज है खीरा। जी हां अगर आप हर एक चीज विधि-विधान से कर रहे है तो याद रखें,  खीरे के बिना आपकी पूजा अधूरी रह जाएगी।

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जानें खीरे का महत्व

जन्माष्टमी पर लोग श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं, माना जाता है कि नंदलाल खीरे से काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। इस दिन ऐसा खीरा लाया जाता है जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां भी होनी चाहिए।

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क्यों लाना चाहिए इस तरह का खीरा
इस दिन खीरे का कीमत कई गुना ज्यादा होती है। इसके साथ ही आपने देखा होगा कि खीरे के साथ थोड़ा सा डंठल होती है। मान्यताओं के अनुसार, जन्मोत्सव के समय इसे काटना शुभ माना जाता है। अब आपके दिमाग में घूम रहा होगा कि आखिर खीरे को काटना क्यों शुभ माना जाता है। हम आपको बता दें कि जिस तरह एक मां की कोख से बच्चे के जन्म के बाद मां से अलग करने के लिए 'गर्भनाल' को काटा जाता है। उसी तरह खीरे और उससे जुड़े डंठल को 'गर्भनाल' माना काटा जाता है जोकि कृष्ण को मां देवकी से अलग करने के लिए काटे जाने का प्रतीक है।

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ऐसे करें नाल छेदन

खीरे को काटने की प्रकिया को नाल छेदन के नाम से जाना है। इस दिन खीरा लाकर कान्हा के झूले या फिर भगवान कृष्ण के पास रख दें। जैसे ही 12 बजें यानी भगवान कृष्ण का जन्म हो, उसके तुरंत बाद एक सिक्के की मदद से खीरा औऱ डंठल को बीच से काट दें। इसके बाद शंख जरूर बजाए। 

 

 

 

 

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