Saturday, January 04, 2025
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Janmashtami 2017: इस बार 3 दिन मनेंगी जन्माष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस बार जन्माष्टमी को लेकर कुछ असंजस बैठा हुआ। इस बार अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ न होने के कारण भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी तीन दिन मनाई जाएगी। जो कि सोमवार, 14 अगस्त से शुरु होगी। जानिए क्यो..

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated : August 10, 2017 14:18 IST

ladoo gopal

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इसके बाद श्री कृष्ण के पालने में विराजमान करा कर इस मंत्र के साथ सुलाना चाहिए-
"विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:"

जब आप श्री परि को शयन करा चुके हो इसके बाद एक पूजा का चौक और मंडप बनाए और श्रीकृष्ण के साथ रोहिणी और चंद्रमा की भी पूजा करें। उसके बाद शंख में चंदन युक्त जल लेकर अपने घुटनों के बल बैठकर चंद्रमा का अर्द्ध इस मंत्र के साथ करें।

श्री रोदार्णवसम्भुत अनिनेत्रसमुद्धव।
ग्रहाणार्ध्य शशाळेश रोहिणा सहिते मम्।।

इसका मतलब हुआ कि हे सागर से उत्पन्न देव हे अत्रिमुनि के नेत्र से समुभ्छुत हे चंद्र दे!  रोहिणी देवी के साथ मेरे द्वारा दि गए अर्द्ध को आप स्वीकार करें।  इसके बाद नंदननंतर वर्त को महा लक्ष्मी, वसुदेव, नंद, बलराम तथा यशोदा को फल के साथ अर्द्ध दे और प्रार्थना करें कि हे देव जो अनन्त, वामन. शौरि बैकुंठ नाथ पुरुषोत्म, वासुदेव, श्रृषिकेश, माघव, वराह, नरसिंह, दैत्यसूदन, गोविंद, नारायण, अच्युत, त्रिलोकेश, पीताम्बरधारी, नारा.ण चतुर्भुज, शंख चक्र गदाधर, वनमाता से विभूषित नाम लेकर कहे कि जिसे देवकी से बासुदेव ने उत्पन्न किया है जो संसार , ब्राह्मणो की रक्षा क् लिए अवतरित हुए है। उस ब्रह्मारूप भगवान श्री कृष्ण को मै नमन करती हूं।

इस तरह भगवान की पूजा के बाद घी-धूप से उनकी आरती करते हुए जयकारा लगाना चाहिए औऱ प्रसाद ग्रहण करनें का बाद ही जाना चाहिए।

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