धर्म डेस्क: मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र 1 अक्टूबर, शनिवार से शुरु हो रहा है। जो कि 10 अक्टूबर, सोमवार को नवमी के साथ समाप्त होगा। इस बार नवरात्र 9 दिन के न होकर 10 दिन के है। जो कि बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा संयोग पूरे 427 साल बाद आया है। इस नवरात्र में विधि-विधान के साथ पूजा- अर्चना करना फलदायी साबित होगा।
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नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। जिसके साथ ही मां दुर्गा की अराधना की शुरुआत होती है। अगर आप भी अपने घर में घट स्थापना कर रहे है, तो जानिए इस पूजा विधि और मुहूर्त के बारें में।
ऐसे करें घट स्थापना
सबसे पहले एक साफ जगह पर मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी इच्छानुसार सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति रखें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें।
इसके बाद कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक रोजाना करना चाहिए।
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