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सिंहस्थ कुंभ: जाने साधु क्यों रमाते है धुनी, साथ ही जानिए इसकी पूरी प्रक्रिया

इस तप को पूरा करने के लिए साधु आग तक में बैठना पड जाता है। इस तपस्या को करने में पूरे 18 साल से अधिक समय लगता है। जानिए धुनी रमाने की पूरी प्रकिया के बारें में..

India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 16, 2016 14:17 IST

साधु धुनी रमाता हुआ

साधु धुनी रमाता हुआ

चौथा चरण
इस चरण को चौरासी धुनी कहते है। इसमें साधु को पूरे 84 उपले चारों और घेरा बनाकर रकना होता है और इन्हे जलाकर इसके अंदर बैठकर तप करते है। इस घेर को बनाने के लिए साधु को किसी साथी की मदद लेनी पडती है।

पांचवां चरण
इस चरण को कोट धुनी कहा जाता है। इस चरण में साधु को अपने बिल्कुल आस-पास ही घेरा बनाना पडता है और इसकी तपन और गर्मी के बीच साधना करना होता है।

छठा या अंतिम चरण
अंतिम या छठा चरण सबसे कठिन तप होता है जिसमें साधु को अधिक गर्मी सहनी होती है। इस चरण को कोटखोपड़ धुनी कहा जाता है। इस धुनी के लिए साधु को अपने सिर पर मिट्टी के पात्र में जलते हुए कंडे रखकर तप करना होता है।

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