ये है पहला चरण
इसके पहले चरण को पंच धुनी कहते है। इसमें साधु पांच उपलों का घेरा बनाकर जलाते है और उसमें बैठकर तप करते है।
दूसरा चरण
यह चरण सप्त धुनी कहलाता है। इसमें सात उपले रखकर घेरा बनाता है और साधु उसमें बैठ कर प्रभु का जाप करते है।
तीसरा चरण
इस चरण को द्वादश धुनी कहते है यानी कि 12 उपले रखकर घेरा बनाते है और उसके अंदर बैठकर कठोर तप करता है।
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