धर्म डेस्क: सिंहस्थ कुंभ उज्जैन में कुछ ही दिनों बाद शुरु होने वाला है। लेकिन अभी से ही यहां पर साधु-संतों का जमावड़ा होने लगा है। कुंभ दुनिया का सबसे पवित्र स्नान है। माना जाता है कि जहां-जहां पर अमृत की बूंदे गिरी थी वहां पर कुंभ का आयोजन किया जाता हैय़ यह स्नान पूरे 12 सालों में एक बार आता है। इस स्नान में पूरी दुनिया के साधु-संत आते है और अपनी कठोर तपस्या को शुरु करते है।
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हर साधु-संत अपने-अपने तरीके से कठोर से कठोर तपस्या करते है। इन सभी का भगवान की प्राप्ति का अपना ही तरीका है। इन्ही तरीकों में एक तरीका है धुनी रमाना। जो कि साधुओं की सबसे घोर तपस्या मानी जाती है। इस तपस्या में साधुओं को कई क्रियाएं करनी पडती है।
जिसके बाद यह धुनी रमती है। इस तप को पूरा करने के लिए साधु आग तक में बैठना पड जाता है। इस तपस्या को करने में पूरे 18 साल से अधिक समय लगता है। जिसके बाद साधु का तप पूरा होता है। जानिए धुनी रमाने की क्या प्रक्रिया है।
ये है धुनी रमाने करी प्रक्रिया
सबसे पहले साधु जिस जगह धुनी रमाना होता है उस जगह में जाकर बैठ जाते है और अपने चारों ओर उपलों से घेरा बनाते है। इसके बाद एक जलते हुए उपले को इस घेरे में रख दिया जाता है जिससे कि सभी उपले जल जाए। इसी के बीच बैठकर धुएं और भीषण गर्मी के बीच साधु अपने इष्ट भगवान के मंत्रों का जाप करता है। जानिए धुनी रमाने के चरण क्या है।
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