धर्म डेस्क: हिंदू पंचाग के अनुसार होली और रंग पचंमी के बाद शीतला सप्तमी और अष्टमी आता है। जिसमें महिलाएं मां शीतला का व्रत, पूजा-पाठ करती है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन शीतला अष्टमी का व्रत पड़ता है।
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इस दिन मां शीतला को गर्म और ताजा खाना का भोग न लगाकर ठंडा और बासी खाना का भोग लगाते है। यह व्रत एक दिन पहले की रात से शुरु हो जाएगी। जानिए आखिर क्यों शीतला मां को बासी खाना से भोग लगाया है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार किसी गांव में लोग शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे। तब उन्होंने गरिष्ठ भोजन माता को प्रसाद के रूप में चढ़ा दिया। शीतलता का प्रतीक मां शीतला का मुंह इससे जल गया और वे नाराज हो गईं। उन्होंने कोपदृष्टि से संपूर्ण गांव में आग लगा दी। केवल एक बुढ़िया का घर सुरक्षित रहा।
गांव वालों ने बुढ़िया के पास जाकर इसका कारण पूछा। तो उसने बताया कि वह रात को ही भोजन बनाकर रख ली थी। उसने मां को भोग के रूप में उस ठंडा-बासी भोजन को खिलाया। इससे मां ने प्रसन्न होकर उसके घर को जलने से बचा लिया।
उसकी बात सुनकर गांव वालों ने मां से क्षमा मांगी और रंगपंचमी के बाद आने वाली सप्तमी के दिन उन्हें बासी भोजन खिलाकर मां का पूजन किया। उसी दिन से कहीं सप्तमी तो कहीं अष्टमी को माता शीतला का पूजन व बासी भोजन का अर्पण किया जाता है।