धर्म डेस्क: हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन का अलग ही महत्व है। इन नौ दिनों में अलग-अलग तरीके से कन्याओं को दान देना चाहिए। नवरात्र में इस प्रकार पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और सालभर आपके घर में सुख, समृद्धि, यश आएगा। साथ ही मां आपको सौभाग्य और उन्नति का आशीर्वाद भी देगी।
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नवरात्र के सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का अधिक महत्व होता है। इस दौरान कन्याओ को ससम्मान घर में बुालकर आवभगत किया जाता है। साथ ही अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को देवी का रुप मान कर पूजा की जाती है। जिससे कि घर में सुख-समृद्धि आए। और धर से दरिद्रता दूर भाग जाए।
कन्याओं की आयु 2 साल वर्ष से ऊपर तथा 10 साल तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है। जिस प्रकार मां की पूजा भैरव के बिना पूर्ण नहीं होती, उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है।
हमारे दिमाग में ये बात जरुर आती होगी कि आखिर नवरात्र के दिनों में ही कन्या पूजना बहुत महत्वपूर्ण क्यों है? और किसी दिन क्यों नहीं?, तो हम आपको बताते है कि ऐसा क्यों है साथ ही कन्याओं की नवरात्र में पूजन कैसे करना चाहिए।
नवरात्र के समय कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। इन दिनों नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है। इस दिन कन्याओं की जरुर पूजा करना चाहिए।
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