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अन्नदान को क्यों माना जाता है उत्तमदान, जानिए

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि विश्व का सबसे बड़ा दान अगर कुछ है तो वह है अन्नदान। माना गया है कि यह संसार अन्न से ही बना है और अन्न की सहायता से ही इसकी रचनाओं का पालन हो रहा है। यहीं एक ऐसी चीज है जिससे शरीर के साथ-साथ आत्मा भी तृप्त होती है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : April 26, 2016 9:03 IST

lord shiva

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इसके बारें में हिंदू धर्म के ग्रंथो में से एक पद्म पुराण में एक पौराणिक कथा मिलती है। इसके अनुसार व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था में जिस भी वस्तु का दान करता है, मृत्यु के बाद वही चीज उसे परलोक में प्राप्त होती है। राजा श्वेत अपनी कठोर तपस्या के बल पर ब्रह्मलोक तो पहुंच जाते हैं लेकिन अपने जीवनकाल में कभी भोजन का दान ना करने के कारण उन्हें वहां भोजन प्राप्त नहीं होता। इसलिए दान देना बहुत ही जरुरी माना जाता है।

इसी तरह एक दूसरी कथा में दान के बारें में एक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार नएक बार भगवान शिव, ब्राह्मण रूप धारण कर पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। उन्होंने एक वृद्ध विधवा स्त्री के दान मांग लेकिन उसने कहा कि वह अभी दान नहीं दे सकती क्योंकि वह अभी उपले बना रही है।

जब उस ब्राह्मण ने हठ किया तो उस स्त्री ने गोबर उठाकर ब्राह्मण को दान में दे दिया। जब वह स्त्री परलोक पहुंची तो भोजन मांगने पर उसे खाने के लिए गोबर ही मिला। जब उसने पूछा कि गोबर क्यों दिया गया है तो जवाब में उसे यही सुनना पड़ा कि उसने भी यही दान में दिया था। इस तरह से अन्नदान के महत्व को समझा जा सकता है और यह बेहे जाना जा सकता है कि यह अन्न किस तरह जीवन और मृत्यु पर्यंत हमारी आत्मा की संतुष्टि के लिए आवश्यक है।

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