वैज्ञानिक कारण
अस्थियों को पवित्र नदियों में ही विसर्जन करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। इसके अनुसार माना जाता है कि गंगा नदी एक ऐसी नही है जिससे लाखों वर्ग मील भूमि को सींचकर उसको उपजाऊ बनाया जाता हैं। जिससे गंगा की उपजाऊ शक्ति कम होती जाती है। इसलिए माना अस्थियों को गंगा में विसर्जन करने की परंपरा बनाई गई हैं, क्योंकि अस्थियों में फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होता हैं। जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखता है।
शास्त्रकारों के अनुसार
अस्थियों को पवित्र नदियों में ही विसर्जन के बारे में शास्त्रकार लोगों इस श्लोक के माध्यम से बताएगें। जो इस प्रकार हैं-
यावदस्वीनि गंगायां तिष्ठिन्ति पुरुषस्य च।
तावदूर्ष सहस्त्राणि ब्रहमालोके महीयते।।
इसके अनुसार जब तक मृतक की अस्थियां गंगा में रहती हैं, तब तक मृतक की आत्मा शुभ लोकों में निवास करती हैं और कई आनंद का लाभ उठाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता हैं कि जब तक मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित नही किया जाता हैं, तब तक उस मृतक की आत्मा परलोक की यात्रा नहीं कर सकती हैं।
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