धर्म डेस्क: आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया है और परसों श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या थी। हरियाली अमावस्या थी, जिसे चितलगी अमावस्या भी कहते हैं। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है। इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाने की परंपरा है। (हरितालिका तीज 26 को: पहली बार रहने जा रही हैं ये व्रत, तो ध्यान रखें ये बातें)
हमारी संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है। (चाहते हैं हो जाएं जल्द शादी, तो अपनाएं ये आसान से टोटके)
शास्त्रों के अनुसार, हरियाली अमावस्या से आठ दिनों के अन्दर हर व्यक्ति को एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। हर किसी के लिये एक वृक्ष तय होता है और उसे वही वृक्ष लगाना चाहिए जिससे उसे उचित फल मिल सके। जानिए आचार्य इंदु प्रकाशे से कि किसके लिये कौन-से वृक्ष का चुनाव करना होगा ठीक। दरअसल वृक्षों का चुनाव नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। जिसका जन्म जिस भी नक्षत्र में हुआ है, उस व्यक्ति को उसी नक्षत्र का वृक्ष लगाने से पुण्य फल मिलता है।