धर्म डेस्क: अश्विनी शुक्ल पक्ष के साथ ही आज से शारदीय नवरात्र की शुरूआत हो रही है। पूरे नौ दिनों तक चलने वाले व्रत, उपवास आदि शक्ति उपासना ऋतु परिवर्तन के समय जठराग्नि के बदलते वेग को संतुलित करने में मदद करते हैं। हर साल हम आपको नवरात्रि के नवों दिन देवी की आराधना के बारे में रोज बताते हैं। पहले दिन शैलपुत्री की बात करते हैं, दूसरे दिन ब्रहमचारिणी की बात करते हैं, तीसरे दिन चंद्रघंटा की, चौथे दिन कुष्मांड़ा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवे दिन कालरात्रि की, आठवें दिन महागौरी की और नौवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। माता दुर्गा की साधना के अलावा इन दिनों और देवी-देवताओं की उपासना भी बड़ी फलप्रद होती है। वैसे तो सबके लिये उपासनाओं के मार्ग खुले हैं, लेकिन अगर आप अपने अनुकूल देवी-देवताओं की उपासना करते हैं, तो आपको जल्दी और सटीक फल प्राप्त होते हैं।
तंत्र शास्त्रों में, तंत्र ग्रन्थों में अपना मंत्र चुनने के लिये सिद्धादि योग संबंध में मालिनी विजय और शुद्ध अकड़म चक्र दिये गये हैं। समयाचार तंत्र और मालिनी विजय में ऐसा बताया गया है कि अपने शत्रु वर्ग का मंत्र नहीं जपना चाहिए। वहां ये भी विधान है कि अगर गलती से शत्रु वर्ग का मंत्र ले लिया हो तो एक खास विधि से उस मंत्र को उल्टा पढ़कर, उसका त्याग करना चाहिए। जानिए किस राशि या लग्न वाले व्यक्ति को किस देवी-देवता की उपासना करनी चाहिए।
मेष राशि: श्री राम की साधना करनी चाहिए।
वृष राशि: महाकाली या भैरव की उपासना करनी चाहिए।
मिथुन राशि: भैरव नाथ की उपासना करनी चाहिए।
कर्क राशि: श्री विष्णु की उपासना करनी चाहिए।
सिंह राशि: श्री हनुमान की उपासना करनी चाहिए।
कन्या राशि: माता महालक्ष्मी और भुवनेश्वरी की उपासना करनी चाहिए।
तुला राशि: दुर्गा जी की उपासना करनी चाहिए।
वृश्चिक राशि: भगवान शंकर की उपासना करनी चाहिए।
धनु राशि: गायत्री की उपासना करनी चाहिए।
मकर राशि: दुर्गा जी की उपासना करनी चाहिए।
कुंभ राशि: माता महालक्ष्मी और भुवनेश्वरी की उपासना करनी चाहिए।
मीन राशि: श्री गणेश और हनुमान में से कोई भी साधना सुखद है।