Friday, November 29, 2024
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शिवपुराण के अनुसार जानिए कि काल भैरव का जन्म कब और कैसे हुआ?

नई दिल्ली: कालभैरव को साक्षात भगवान शिव का दूसरा रूप माना जाता है। साथ ही इनके दूसरे रूप को विग्रह रूप के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष यानी कि अगहन

India TV Lifestyle Desk
Updated : December 02, 2015 23:48 IST

india TVलेकिन दोनों देवता अपने युद्ध में ही मस्त थे। सभी देवता इतने व्याकुल हुए कि वह बोले कि सबसे श्रेष्ठ भगवान शिव है। जिनके बिन इस संसार का एक पत्ता भी नही हिल सकता है। उन्हीं के पास हमें इस समस्या के निजात वही दिला सकते है वही पर चलना चाहिए। सभी देवता बाबा भोलेनाथ के पास पहुंचे और सभी हाल कर दिया।

इसके बाद भगवान शिव ने कहा क आप लोग कोई चिंता न करें मैं कोई उपाय ढूढ़ता हूं। इतना कह कर भगवान शिव उस जगह पर गए जहां पर दोनों देवता का युद्ध हो रहा था। और वही पर घनघोर बादलों के पीछे छुपकर युद्ध देखने लगे। तभी उन्होनें देखा कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा महेश्वर और पशुपति शास्त्रों का उपयोग करने जा रहे थे। जिसके उपयोग से संसार में प्रलय आ सकती थी। तभी भगवान शिव वहां पर ज्योतिमय स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए।

जब दोनों देवताओं ने देखा कि यह स्तम्भ अचानक कैसे निकल आया। दोनों देवताओं ने निश्चय किया कि इसके बारे में पता लगाते है। आखिर यह क्या चीज है। और इसका अंत कहा पर है। इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने सारस का रूप लिया और विष्णु ने मगर का रूप धारण किया । भगवान ब्रह्मा आसमान की और गए यह देखने कि इसका ऊपर अंत कहा है और भगवान विष्णु सागर के नीचे देखने गए कि इसका अंत कहा है। चारों तरफ देख डाला, लेकिन उनको इसका अंत न मिला।

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