अनन्त कालसर्प दोष
जब कुंडली में राहु लग्न में और केतु सप्तम में हो और उस बीच सारे ग्रह हों तो अनन्त नामक कालसर्प योग बनता है। ऐसे जातकों के व्यक्तित्व निर्माण में कठिन परिश्रम की जरूरत पड़ती है। उसके विद्यार्जन व व्यवसाय के काम बहुत सामान्य ढंग से चलते हैं और इन क्षेत्रों में थोड़ा भी आगे बढ़ने के लिए जातक को कठिन संघर्ष करना पड़ता है।
मानसिक पीड़ा कभी-कभी उसे घर-गृहस्थी छोड़कर वैरागी जीवन अपनाने के लिए भी उकसाया करती हैं। लाटरी, शेयर व सूद के व्यवसाय में ऐसे जातकों की विशेष रुचि रहती हैं किंतु उसमें भी इन्हें ज्यादा हानि ही होती है। शारीरिक रूप से उसे अनेक व्याधियों का सामना करना पड़ता है। जिससे आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है और दापत्यं जीवन में भा परेशानी आने लगती है।
कुलिक कालसर्प दोष
राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग होगा। जातक को अपयश का भी भागी बनना पड़ता है। इस योग की वजह से जातक की पढ़ाई-लिखाई सामान्य गति से चलती है और उसका वैवाहिक जीवन भी सामान्य रहता है। लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण आपके दापत्यं जीवन में खलबली मची रहती है।
अपने दोस्तों से धोखा, संतान सुख में बाधा और व्यवसाय में संघर्ष कभी उसका पीछा नहीं छोड़ते। साथ ही आपका स्वभाव भी बदला ही होता है। साथ ही आपकी मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी गुजरना पडता है।
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