धर्म डेस्क: कोलकाता का कालीघाट क्षेत्र काली माता मंदिर के कारण काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां पर मां सती के अंग गिरते गए वहां-वहां शक्तिपीठ बनते गए। यह शक्तिपीठ पुरे भारत में आस्था का अनुठा केंद्र है।
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मां सती की गिरी थी पांव की 4 अंगुली
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है की इस जगह सती मां के दांए पांव के चार अंगुलियां गिरी थी इसी कारण इसे शक्ति के 51 शक्तिपीठो में माना जाता है |
मां की प्रंचड मूरत
इस मंदिर में मां काली की प्रचंड मूरत के दर्शन होते है जो विशालकाय है। काली मां की लम्बी जीभ जो सोने की बनी हुई है बाहर निकली हुई है और हाथ और दांत भी सोने से ही बने हुए है।
इस अवतार में है मां काली
काली माता की मूर्ति का चेहरा श्याम रंग में है और आंखे और सिर सिन्दुरिया रंग में है। सिन्दुरिया रंग में ही मां काली के तिलक लगा हुआ है और हाथ में एक फांसा भी इसी रंग में रंगा हुआ है।
स्नान कराते समय बांध दी जाती है पुरोहित की आंखो में पट्टी
देवी को स्नान कराते समय धार्मिक मान्यताओं के कारण प्रधान पुरोहित की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है। मां कालिका के अलावा शीतला, षष्ठी और मंगलाचंडी के भी स्थान है।
साल 1809 में हुआ इस मंदिर का निर्माण
माना जाता है की यह मंदिर 1809 के करीब बनाया गया था | इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी (सन्यासपूर्व नाम जिया गंगोपाध्याय) ने की थी।
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