धर्म डेस्क: चार धाम में से एक माना जाने वाला भगवान जगन्नाथ का मंदिर उडिसा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित हैं। इस मंदिर पर भगवान जगन्नाथ के साथ ही भगवान बलराम और देवी सुभद्रा की मूर्ति है जो कि विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। पुरी के मंदिर का यह भव्य रूप 7वीं सदी में निर्मित किया गया।
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इस मंदिर को लेकर माना जाता है कि जब भगवान विष्णु चारों धामों की यात्रा पर जाते थे तब वो भारत के उत्तरी भाग उत्तराखण्ड के चमोली मे बना बद्रीनाथ में स्नान करते, जिसके बाद पश्चिम में गुजरात के द्वारका में वस्त्र पहनते हैं, फिर पुरी में भोजन करते और दक्षिण के रामेश्वरम में विश्राम करते, जिसके बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गया ये जग के नाथ जगन्नाथ का मंदिर। 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर में योगेश्वर श्रीकृष्ण जगन्नाथ रूप में विराजते हैं।
हर साल भगवान जगन्नाथ के मंदिर में जून-जुलाई के महीने में विशाल रथयात्रा का आयेजन किया जाता हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पुरी से शुरू होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे देशभर के महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है। इसमें हर साल लाखों श्रद्धालु शिरकत करते हैं। इस साल रथयात्रा 6 जुलाई से शुरू हो रही है। जिसकी तैयारी पूरी तरह से हो चुकी है। जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा के बारें में कुछ खास बातें। जिनके बारें में शायद आप नहीं जानते होगे।
- भारत के ओड़िशा स्थित पुरी नगरी में इन दिनों जगन्नाथ यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। वर्ष में एक बार निकलने वाली इस रथ यात्रा का देश और दुनिया के लिए विशेष महत्व है। भारत के चार पवित्र धामों में से एक पुरी के 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर में योगेश्वर श्रीकृष्ण जगन्नाथ रूप में विराजते हैं।
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