धर्म डेस्क: आपने अपने घर में ही देखा होगा कि आपके घर में महिलाएं पूजा-पाठ अधिक करती है। जब आप अपने बिस्तर में होते है तभी घर कि महिलाएं अपने भजनों से आपको जगा देती है।
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वह भगवान को बहुत मानती है जिसके लिए वह हर व्रत और त्योहार को श्रृद्धा के साथ करती है। साथ ही अपने घर के पुरुषों से भी कहती है कि भगवान को माना करों रोज उनकी पूजा किया करो।
आप कही भी देखो चाहे वह मंदिरों, चर्च और इबादत गाहों क्यों न हो। सब जगह महिलाओं की संख्या ज्यादा होगी। आमतौर पर माना जाता है कि इसकी वजह उनका अधिक भावनाशील होना और इस कारण अपने से ज्यादा भगवान पर भरोसा करना है।
इस बारें में एक अध्ययन किया गया कि आखिर सबसे ज्यादा महिलाएं ही क्यों जाती है। वह सबसे ज्यादा आध्यात्मिक क्यों होती हैं। माना जाता है कि प्रकृति ने उन्हें ज्यादा ग्रहणशील बनाया है, इसलिए वे आसपास के मामलों से ज्यादा प्रभावित होती हैं।
एक जर्नल बुक 'प्लास वन' में प्रकाशित शोध के अनुसार बताया गया कि महिलाएं सबसे ज्यादा उस समय विचलित होती हैं जब अपने आसपास किसी अप्रिय घटना को होता देखती हैं। साथ ही एक दूसरा अध्ययन किया गया है कि महिलाएं जब तनाव का सामना कर रही हो उस समय जब वह हत्या और बलात्कार जैसी बुरी खबरें पढ़ती हैं तो इससे उनके व्यवहार पर असर पड़ता है और वे इसी हिसाब से बर्ताव करती हैं।
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