वनवासियों ने सर्वप्रथम नाग वंश के नागों को चित्रित करके पूजना शुरू किया था। महिष्मति के सर्व वायुभक्षी थे। और इनके अधिपति थे कार्कोटक नाग कहलाए। इस तरह कार्कोटक नाग वंश की परंपरा विकसित हुई। कार्कोटक एक उपाधि थी। जो सैकड़ों वर्षों तक रही।
पर्यावरणविद इस पंरपरा को पारिस्थितिक संतुलन से जोड़कर देखते हैं। उनका कहना है कि सांप ऐसा प्राणी है जिसे पानी के भीतर सांस लेने में मुश्किल आती है। बारिश में जैसे ही बिल में पानी घुसता है, वे बिलों से बाहर निकल आते हैं। बड़ी संख्या में सांप निकलने पर लोग उन्हें मार देंगे, इसीलिए ऋषियों ने उन्हें दूध-लावा चढ़ाने की परंपरा शुरू की ताकि सांपों का जीवन और पारिस्थितिक संतुलन बना रहे।