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आखिर ऐसा क्या हुआ कि भगवान परशुराम को करना पड़ा था 21 बार क्षत्रियों का संहार

धर्म डेस्क: भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम माना जाता है। बगवान परशुराम एक ऐसे देवता थे जिन्हें क्रोध बहुत ही जल्दी आता था। इस क्रोध में आकर यह कुछ भी कर देते थे। उसी

India TV Lifestyle Desk
Updated : January 11, 2016 21:07 IST

 lord parshuram

lord parshuram

उन्हें गलत बता कर ब्राह्मण का अपमान करता ऋषियों के आश्रम को नष्ट कर उनका वध कर देता था। इससे ज्यादा तब परेशान हो गए जब  वह अपनी खुशी और मनोरंजन के लिए अबला स्त्रियों को उठा कर उनता सतीत्व खत्म करने लगा।

एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना के साथ झाड–जंगलों से पार करता हुआ जमदग्नि ऋषि के आश्रम में विश्राम करने के लिए पहुंचा | महर्षि जमदग्रि ने सहस्त्रार्जुन को आश्रम का मेहमान समझकर स्वागत सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ी | कहते हैं ऋषि जमदग्रि के पास देवराज इन्द्र से प्राप्त दिव्य गुणों वाली कामधेनु नामक अदभुत गाय थी |

महर्षि ने उस गाय के मदद से कुछ ही पलों में देखते ही देखते पूरी सेना के भोजन का प्रबंध कर दिया| कामधेनु के ऐसे विलक्षण गुणों को देखकर सहस्त्रार्जुन को ऋषि के आगे अपना राजसी सुख कम लगने लगा। उसके मन में ऐसी अद्भुत गाय को पाने की लालसा जागी। उसने ऋषि जमदग्नि से कामधेनु को मांगा।

किंतु ऋषि जमदग्नि ने कामधेनु को आश्रम के प्रबंधन और जीवन के भरण-पोषण का एकमात्र जरिया बताकर कामधेनु को देने से इंकार कर दिया। इस पर सहस्त्रार्जुन ने क्रोधित होकर ऋषि जमदग्नि के आश्रम को उजाड़ दिया और कामधेनु को ले जाने लगा। तभी कामधेनु सहस्त्रार्जुन के हाथों से छूट कर स्वर्ग की ओर चली गई।

जब परशुराम अपने आश्रम पहुंचे तब उनकी माता रेणुका ने उन्हें सारी बातें विस्तारपूर्वक बताई। परशुराम माता-पिता के अपमान और आश्रम को तहस नहस देखकर आवेशित हो गए। पराक्रमी परशुराम ने उसी वक्त दुराचारी सहस्त्रार्जुन और उसकी सेना का नाश करने का संकल्प लिया।

अगली स्लाइड में पढ़े पूरी रोचक कथा के बारें में

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