धर्म डेस्क: भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम माना जाता है। बगवान परशुराम एक ऐसे देवता थे जिन्हें क्रोध बहुत ही जल्दी आता था। इस क्रोध में आकर यह कुछ भी कर देते थे। उसी तरह इनकी एक कथा कि इन्होंने 21 बार क्षत्रियों का संहार क्या। आखिर ऐसा क्या हुआ जो भगवान परशुराम ने ऐसा कदम उठाया। जानिए इसके पीछे क्या है रोचक कथा। इस बारें में हिंदू धर्म के पुराणों में विस्तार से बताया गया है। जानिए इस रोचक कथा के बारें में।
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महिष्मती नगर के राजा सहस्त्रार्जुन क्षत्रिय समाज के है। इस वंश के राजा कार्तवीर्य और रानी कौशिक के पुत्र थे | सहस्त्रार्जुन का वास्तवीक नाम अर्जुन था। उन्होने दत्तत्राई को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की।
दत्तत्राई उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा तो उसने दत्तत्राई से 10000 हाथों का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद उसका नाम अर्जुन से सहस्त्रार्जुन पड़ा | इसे सहस्त्राबाहू और राजा कार्तवीर्य पुत्र होने के कारण कार्तेयवीर भी कहा जाता है |
माना जाता है महिष्मती सम्राट सहस्त्रार्जुन अपने घमंड में इतना चूर हो गया कि उसे कुछ भी याद न रहा और वह धर्म की सभी सीमाओं को लांघ चुका था| उसके अत्याचार व अनाचार से पूरी जनता परेशान हो चुकी थी | वह इतना घंमड में चूर हो गया था कि उसने वेद –पुराण और धार्मिक ग्रंथों को तक नहीं छोड़ा।
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